आज गुरुवार को बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने केके पाठक द्वारा शिक्षकों के साथ अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करने का मामला उठाकर हंगामा शुरू कर दिया। इसपर शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सरकार की तरफ से विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष के साथी कई तरह के मुद्दे उठाते जा रहे हैं, लेकिन सभी का विषय एक ही होता हैं। हमने जो सुना शायद किसी वीडियो या टेप या गाली की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कल भी यह मुद्दा विधान परिषद में उठा था। हमने इसपर कहा भी था कि कैसे कोई शिक्षक को गाली दे सकता हैं ! किसी अधिकारी को सामान्य नागरिक को भी गाली देने का अधिकार नहीं है।
विजय चौधरी ने कहा कि हम ‘डॉक्टर’ चंद्रशेखर को बताना चाहेंगे कि मोबाइल पर कोई वीडियो सदन में नहीं चलाया जा सकता और मोबाइल मीडिया गैलरी में दिखा रहे हैं, जो आसान के इजाजत के बैगर सही नहीं हैं। उस सदन में हमलोगों ने बता दिया कि जो भी सभापति फैसला लेंगे उस फैसले पर सरकार कार्रवाई करेगी।
बता दें कि बुधवार को विधान परिषद में पक्ष और विपक्ष की मांग के पर सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने केके पाठक की शिक्षकों के साथ अभद्र व्यवहार वाले वायरल वीडियो को देखने की बात कही थी। इसपर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने सदन के कोरम के अनुसार वहां वीडियो टेलीकास्ट नहीं करने की बात रखी थी, जिसपर निर्णय हुआ कि सभापति अपने चेंबर में वीडियो को देखेंगे। तब सभापति ने कहा था कि केके पाठक के वीडियो में अगर अपशब्द या कोई गलती या अमर्यादित बात हुई तो कार्रवाई होगी। सभापति के इसी कथन को जरिया बनाते हुए सरकार ने इस बात से अपना पल्ला एक प्रकार से झाडते हुए सारा निर्णय सभापति के पल्ले डाल दिया है। केके पाठक पर सरकार क्या एक्शन लेती है, यह सभापति के फैसले पर निर्भर है। ऐसे में अब पक्ष और विपक्ष की नजर सभापति के फैसले पर है।
इधर जब सरकार ने के. के. पाठक के अभद्र भाषा वाले विडियो को लेकर विधान परिषद के सभापति की जांच का हवाला दिया तो सदन मे विपक्ष के रूप में काबिज़ महागठबंधन के तमाम दलों के विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया। विपक्षी दलों ने उच्च सदन के हवाले की बात से इत्तेफाक न रखते हुए सदन का बहिष्कार कर दिया।