बिहार में शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच तनाव बढ़ रहा है। यह तनाव विभाग द्वारा आयोजित बैठकों में कुलपतियों की अनुपस्थिति और विश्वविद्यालयों के खातों को फ्रीज किए जाने के बाद शुरू हुआ था।
12 अप्रैल, 2024 को, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) केके पाठक ने राज्यपाल सह कुलाधिपति के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चौंग्थू को एक पत्र लिखा। इस पत्र में, पाठक ने चौंग्थू को शिक्षा विभाग के कामकाज में हस्तक्षेप न करने का आग्रह किया।
क्या लिखा पत्र में
- हस्तक्षेप का आरोप: पाठक ने चौंग्थू पर शिक्षा विभाग के कामकाज में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि चौंग्थू विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को विभागीय बैठकों में शामिल न होने और विभाग के निर्देशों का पालन न करने के लिए उत्साहित कर रहे हैं।
- राज्यपाल की स्थिति: पाठक ने राज्यपाल की उच्च संवैधानिक स्थिति का भी उल्लेख किया है। उनका कहना है कि राज्यपाल को उच्च शिक्षा से संबंधित मामलों को सीधे शिक्षा मंत्री या मुख्यमंत्री के सामने उठाना चाहिए, न कि शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों के समक्ष।
- कानूनी आधार: पाठक ने बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 का भी हवाला दिया है। उनका कहना है कि यह अधिनियम कुलपति को विश्वविद्यालय के अधिकारियों के बीच विद्रोह और अराजकता को भड़काने की अनुमति नहीं देता है।
क्या है मामला ?
दरअसल, शिक्षा विभाग ने हाल ही में आधा दर्जन बैठकें बुलाई हैं. जिसमें कुलपति नहीं आए। नाराज होकर शिक्षा विभाग ने कुलपतियों और विश्वविद्यालयों के सभी खाते फ्रीज कर दिये. इस बीच रॉबर्ट एल चोंग्थू ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर उसकी कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. इस बीच राजभवन में राज्यपाल की मौजूदगी में बैठक हुई, जिसमें समस्या का समाधान निकालने का प्रयास किया गया.