लोकसभा चुनाव में एक सप्ताह से भी कम समय बचा है नेता लोगों के बीच जाकर अपनी पार्टी के लिए वोट मांग रहे हैं, रैली में कामों की लिस्ट गिनवाई जा रही है और जनता खामोशी से उनकी बातें सुन रही है। शिकायतें है करने को लेकिन कर नहीं पाते हैं, वोट देना भी मजबूरी सी हो गई है। चुनाव का उत्साह नहीं बल्कि चेहरे पर रहस्यमय मौन है। शायद इसीलिए चुनावी रेस में उम्मीदवारों के साथ नोटा भी है जिसपर पिछले बार 2019 में 22 हजार लोगों ने बटन दबाए थे।
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पानी की समस्या से परेशान जनता
बात औरंगाबाद की है जहां बड़ी-बड़ी सड़कों का निर्माण हुआ है, विकास भी हुआ है लेकिन कई समस्याएं भी पहले से ज्यादा बढ़ी है जिसका निदान नहीं हो पाया है। इन समस्याओं में सबसे बड़ी समस्या पानी की है जिसपर कोई बात नहीं कर रहा, लोग पानी की समस्या से परेशान है नदियां सूख रही है जलाशय साल के अधिक महीनों में सुखा रहता है, खेतों के सिंचाई के लिए बने छोटे-छोटे डैम पानी के बिना बेकार पड़े हैं, मोरहर और सोहर व बटाने जैसी नदियां सूख गई है। इस समय जलाशय पूरी तरह सूखा हुआ है, पूरे इलाके में सिंचाई को लेकर जीर्ण-शीर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर बिखरा पड़ा है, सोन नदी के संकट में आने का असर दिख रहा है, कई वर्षों से सूखे के हालात है, किसान उन्हें देख मन मसोर कर रह जाते हैं शिकायत भी करे तो किस्से, लोगों के लिए राष्ट्रवाद सबसे बड़ा मुद्दा है, महंगाई और बेरोजगारी पर बात नहीं होती। इसलिए कई उम्मीदवारों के होते हुए भी बड़ी संख्या में जनता नोटों पर बटन दबा देती है।
मतदाताओं के नाम पर मौन जनता
औरंगाबाद में लोग अब समस्या पर तो बात करते हैं लेकिन मतदाताओं पर मौन हो जाते हैं चुनाव को लेकर उत्साह तो है लेकिन पसंद-नापसंद साझा नहीं करते। वहीं क्षेत्र और मुद्दों की समस्याओं पर खुलकर बात करते है, हालांकि समर्थन किसका करेंगे, इसपर खुलकर नहीं कहते। मीडिया से बात करते हुए एक शख्स ने अपनी नाराजगी जताई, उन्होंने कहा कि 40 साल से क्षेत्र को देख रहे हैं स्थिति खराब ही हुई है, परेशानियां बढ़ी है लेकिन वोट तो देना है, देंगे ही। यहां लोगों में पिछड़ेपन का दर्द दिखता है
औरंगाबाद सीट पर सबसे खास बात है कि चुनाव में नोटा भी लड़ाई में रहता है 2019 के चुनाव में नोटा चौथा स्थान पर रहा, 22632 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था जो कुल मतदाताओं का 2.4 फीसदी था, वहीं 2014 के चुनाव में 17454 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया, जो कुल मतदाताओं का 2.22 फीसदी था।