एनडीए में सीट शेयरिंग का फ़ॉर्मूला तय हो गया है. अब पार्टियाँ अपने अपने उम्मीदवारों के नाम तय करने में जुटी हुई हैं। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने अपने उम्मीदवार लगभग तय कर लिए है और इसकी औपचारिक घोषणा जल्द ही हो जाएगी। जदयू के सूत्रों ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक, जो नाम तय किए हैं उसके अनुसार, अधिकांश वही उम्मीदवार हैं जिन्हें पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट दिया था। यानी कि जदयू ने पुराने चेहरों पर ही ज्यादा भरोसा जताया है और इस बार भी अधिकतर वही उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं।
जदयू के उम्मीदवार जो संभावित हैं उनके मुताबिक, वाल्मीकिनगर से सुनील कुमार, भागलपुर से अजय मंडल, मधेपुरा से दिनेश चंद्र यादव, झंझारपुर से रामप्रीत मंडल, सुपौल से दिलेश्वर कामत, जहानाबाद से चंदेश्वर चंद्रवंशी, बांका से गिरधारी यादव, कटिहार से दुलालचंद गोस्वामी, शिवहर से लवली आनंद, किशनगंज से मास्टर मुजाहिद, सीतामढ़ी से देवेश चंद्र ठाकुर उम्मीदवार हो सकते हैं।
वहीं, मुंगेर से राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन लिंह, गोपालगंज से आलोक सुमन, पूर्णिया से संतोष कुशवाहा और नालंदा से कौशलेंद्र कुमार के नाम लगभग तय हैं। वहीं, सीवान को लेकर थोड़ा संशय है और यहां से कविता सिंह उम्मीदवार हो सकती हैं। अगर सहमति नहीं बनी तो हो सकता है कि सीवान सीट से कुशवाहा जाति का कोई उम्मीदवार हो सकता है।
जदयू की इस रणनीति को मंत्रिमंडल विस्तार से भी जोड़ा जा रहा है। जब नीतीश कुमार ने किसी भी नए विधायक को मंत्री बनाने की जगह तमाम पुराने चेहरे को ही मंत्रिमंडल में जगह दे दी थी, ताकि किसी नए विधायक की नाराजगी नहीं हो पाए और पुराने भी नाराज न हों। वहीं, कुछ सीटों की अदला-बदली हुई है, जिसकी वजह से उम्मीदवार का टिकट कट गया है, जिसे लेकर जदयू सफाई दे रही है।
दरअसल, पार्टी का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर और बिहार में एनडीए गठबंधन की वजह से परिस्थिति अनुकूल है और उम्मीदवारों को जीतने में मुश्किल नहीं आएगी। साथ ही इस बात की आशंका भी है कि अगर उम्मीदवार ज्यादा बदले गए तो कहीं पार्टी के अंदर विद्रोह वाले हालात ना हो जाएं, जिससे मामला गड़बड़ हो जाए।