राज्यसभा सांसद सुशील मोदी की आंखों में बिहार के सीएम नीतीश कुमार एकदम चुभ से गए हैं। वे उन्हें झूठा बताते नहीं थक रहे हैं। जदयू-भाजपा का गठबंधन क्या टूटा, 12 साल तक साथ काम करने वाले नीतीश-मोदी लगातार एक दूसरे के खिलाफ बयान दे रहे हैं। सुशील मोदी तो पटना पहुंचते ही कहा कि 2005 से लेकर 2013 तक इतना काम हुआ। उसके बाद हर डेढ़ साल पर नीतीश कुमार पलट जाते हैं। उन्होंने कहा कि मिट्टी में मिल जाऊंगा RSS से हाथ नही मिलाऊंगा। तो क्यों आए हमारे साथ? फिर कहा कि मैं लालू से हाथ नहीं मिलाउंगा। क्यों चले गए लालू के पास?
RCP को क्यों नहीं निकाला?
सुशील मोदी ने कहा कि अगर आरसीपी सिंह अपने मन से मंत्री बने, आपने निकाल क्यों नहीं? इससे बड़ा असत्य कुछ नहीं हो सकता। अमित शाह ने दो बार नीतीश कुमार से बातचीत की और जब नीतीश कुमार ने नाम दिया तब आरसीपी सिंह मंत्री बने। जो 13 महीने तक मंत्री बने रहे, अब आप कह रहे हैं अपने मन से बन गया। अगले ही दिन हटा देना चाहिए था। 13 महीने तक क्यों बर्दाश्त किया? इस तरह का झूठ कोई बड़ा नेता बोल सकता है, सुनकर आश्चर्य होता है।
ललन पर वार
मोदी ने नीतीश के साथ जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ललन सिंह के कारण जनता दल यूनाइटेड के कम से कम दर्जनों नेता अपमानित हुए कि वो लोग घुटन महसूस करते हैं। जितना दादागिरी यह लोग दिखाएंगे, उतना ही ज्यादा घुटन जदयू में बढ़ेगा। गठबंधन टूटने के पीछे जहां नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा है तो ललन की जलन भी शामिल है। नीतीश हर 2 साल पर प्रधानमंत्री बनने का सपना देखते हैं। ललन सिंह जलते थे कि आरसीपी सिंह मंत्री बन गए, मैं क्यों नहीं बना। इसलिए उन्होंने लालू यादव से हाथ मिला लिया।