इन दिनों बिहार की राजनीति में संकल्पों का दौर चल रहा है। एक ओर भाजपा ने बीते दिन को प्रण लिया कि वो अब किसी भी सुरत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हाथ नहीं मिलाएगी। भाजपा के संकल्प पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी एक ‘भीष्म प्रतिज्ञा’ की है। नीतीश कुमार ने भी कसम खाई है कि वो मर जाएंगे पर भाजपा के साथ कभी भी समझौता नहीं करेंगे। साथ ही उन्होंने भाजपा को एक बड़ी चुनौती भी दे दी है। उन्होंने कहा है कि चुनाव आने पर भाजपा को उसकी हैसियत का पता चल जाएगा।
नीतीश की नई प्रतिज्ञा
भाजपा के संकल्प के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी एक बड़ा संकल्प ले लिया है। उन्होंने कहा है कि अब भाजपा के साथ जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। हम मर जाना कबूल कर सकते हैं लेकिन भाजपा के साथ जाना कबूल नहीं कर सकते। अब भाजपा के साथ जाने की बात बिलकुल बोगस है। ये अटल जी के समय वाली भाजपा नहीं रही। हमलोग अटल जी को मानने वाले लोग हैं इसलिए उनके साथ थे। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि भाजपा वालों ने तेजस्वी यादव के पिता जी पर क्या-क्या केस कर के फंसाया है,वो सभी को पता है।
पहले मुकर चुके हैं नीतीश
वैसे राजनीति में कोई प्रतिज्ञा कितने दिन बरकरार रहती है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहली बार ये प्रतिज्ञा लिया हो कि वो भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। साल 2013 में जब नीतीश कुमार ने पहली बार भाजपा का साथ छोड़ा था तब भी उन्होंने कुछ ऐसा ही प्रतिज्ञा लिया था। उस वक्त विधानसभा के अंदर खड़े होकर उन्होंने कहा था कि ‘मिट्टी में मिल जाएंगे लेकिन भाजपा के साथ नहीं जाएंगे’। लेकिन बाद में उन्होंने अपनी इस प्रतिज्ञा को तोड़ कर भाजपा से हाथ मिला लिया था।
BJP पर नीतीश ने लगाया आरोप
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हमलोग अटल जी को मानने वाले लोग है उन्ही के वजह से भाजपा के साथ थे। फिर 2013 में हमलोग अलग हो गए। उसके बाद भाजपा वालों के आग्रह करने पर उनके साथ चले गए थे। लेकिन उसके बाद 2020 के चुनाव में उनलोगों ने हमें कमजोर करने का प्रयास किया। मुझे जबरदस्ती मुख्यमंत्री बना दिया। मेरी पार्टी के लोग भी बोलते थे कि उन्ही लोगों ने चुनाव में हमें कमजोर किया है। उनलोगों के जीतने भी विधायक जीते हमलोगों के वोट से जीते थे। यही कारण है कि अब एक बार फिर उनलोगों का साथ छोड़ दिए हैं।