बिहार में पीएम नरेंद्र मोदी का दौरा राज्य के लिए 21,400 करोड़ रुपए की सौगात लेकर आया है। इस दौरे में नीतीश कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी से वादा भी किया कि वे इधर उधर नहीं जाएंगे और भाजपा के साथ ही रहेंगे। राज्य के विकास के साथ गठबंधन को मजबूत करने के वादे हुए। लेकिन इस बीच एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं है, इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। दरअसल, इस चर्चा के जोर पकड़ने का कारण चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की पीएम मोदी के कार्यक्रम में गैर-मौजूदगी ने हवा दी है।
दरअसल, पीएम मोदी के दौरे के दौरान न सिर्फ भाजपा के नेताओं का जमावड़ा दिखा। बल्कि सीएम नीतीश कुमार, जदयू सांसद ललन चंद्रवंशी भी मंच पर दिखे। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस, पारस गुट के ही सांसद प्रिंस राज भी मंच पर दिखे। पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी पीएम मोदी के साथ ही दिखे। लेकिन चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा नजर नहीं आए। दोनों नेता न रैलियों में मौजूद रहे और न ही 18 माह बाद बिहार आए पीएम नरेंद्र मोदी के स्वागत में कुछ शब्द अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखे।
इसके पीछे का कारण नीतीश कुमार से चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी बताई जा रही है। दरअसल, चिराग पासवान ने बिहार में अपनी राजनीति का आधार ही नीतीश विरोध को बनाया है। लेकिन भाजपा ने एनडीए में नीतीश कुमार को वापस लाकर उनके लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। ऐसे ही हालात उपेंद्र कुशवाहा के भी हैं। दरअसल, उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार से बगावत करने के बाद नई पार्टी बनाकर एनडीए में एंट्री की है। लेकिन नीतीश कुमार भी एनडीए में आ गए तो कुशवाहा असहज महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की एक टेंशन और है कि नीतीश कुमार की गैर मौजूदगी में उन्हें अधिक लोकसभा सीटें मिल सकती थीं लेकिन अब इसकी संभावना कम है।
बहरहाल, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा किस कारण नहीं आए, यह चर्चा का विषय है। उनका पीएम मोदी के साथ नहीं आना एनडीए की एकजुटता पर सवाल उठा रहा है।