बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बिहार सरकार एवं शिक्षा विभाग से मांग की है कि जितने भी नियोजित शिक्षक बीपीएससी की परीक्षा पास किए हैं, उन्हें अपने मूल विद्यालय में बने रहने का विकल्प मिलना चाहिए। क्योंकि अचानक से अपने मूल विद्यालयों से सभी नियोजित शिक्षकों को हटाए जाने के कारण उन विद्यालयों में नई रिक्तियां उत्पन्न हो जाएंगीं। अनेकों ऐसे विद्यालय हैं, जिनमें मात्र एक ही शिक्षक बचेंगे और कुछ विद्यालय तो ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं बचेंगे। ऐसी स्थिति में उन विद्यालयों में पठन-पाठन को लेकर बहुत समस्या उत्पन्न हो जाएगी। इस स्थिति से बचने के लिए और विद्यालयों में पठन-पाठन की गतिविधि सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए बीपीएससी पास नियोजित शिक्षकों को अपने मूल विद्यालय में बने रहने का विकल्प दिया जाना चाहिए।
वहीं बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश महासचिव बलवंत सिंह ने सरकार से मांग की है कि बीपीएससी परीक्षा पास नवनियुक्त शिक्षकों को मेरिट के आधार पर विद्यालयों के चयन की सुविधा मिलनी चाहिए। बिहार राज्य अध्यापक नियमावली 2023 में विद्यालय चयन को लेकर के यह प्रावधान उल्लेखित है की जिला स्तर पर तैयार किए गए मेधा सूची को आधार मानते हुए चयनित अभ्यर्थियों को मेरिट कम चॉइस के आधार पर विद्यालय में पोस्टिंग की जाएगी। लेकिन विभाग नियमावली के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए मनमानी ढंग से सॉफ्टवेयर के माध्यम से अध्यापकों की पोस्टिंग कर रहा है, जो अवैध है। सॉफ्टवेयर के माध्यम से विद्यालय में पदस्थापन देने से जो मेधावी शिक्षक हैं, उनकी मेधा की अनदेखी होगी और अमूमन ऐसी स्थिति भी बन सकती है कि शिक्षकों का अपने घर से दूर अन्य प्रखंडों में पोस्टिंग हो जाए। खासकर दिव्यांगों एवं महिलाओं के साथ बहुत ही असुविधाजनक स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। कम से कम दिव्यांग शिक्षकों को तो उनके चॉइस की जगह पर पोस्टिंग दी जानी चाहिए।