समस्तीपुर लोकसभा सीट पर इस बार दो मंत्री संतानों की दावेदारी थी। समस्तीपुर सीट पर एनडीए का कब्जा पिछले तीन लोकसभा चुनाव और एक उपचुनाव में रहा था। हर बार लोजपा ने यह सीट जीती थी। इस बार इस सीट से लोजपा( रामविलास) से शांभवी चौधरी जीती है।
समस्तीपुर सीट पर गैर एनडीए सांसदों में आखिरी नाम आलोक कुमार मेहता का है जो यह संसदीय सीट छोड़कर उजियारपुर शिफ्ट हो गए हैं। इस बार यहां से दोनों गठबंधनों की ओर से नए उम्मीदवार थे। इसमें एनडीए से शांभवी चौधरी और महागठबंधन से सन्नी हजारी थे। दोनों के पिता नीतीश सरकार में एक साथ मंत्री हैं लेकिन ये दोनों एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। इस सीट पर 2020 में हुए उपचुनाव में एनडीए उम्मीदवार ने 1 लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी।
समस्तीपुर से 12 उम्मीदवार ने दावेदारी पेश की थी
इस सीट पर कुल 12 उम्मीदवार दावेदार थे। इसमें लोजपा रामविलास की शांभवी चौधरी, कांग्रेस के सन्नी हजारी, बसपा के रामलखन महतो, वाजिब अधिकार पार्टी के विद्यानंद राम, साथी और आपका फैसला पार्टी के लाल बाबू महतो, देश जनहित पार्टी के रतन बिहारी, राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के पिंकू पासवान उम्मीदवार थे। जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों में रवि भूषण कुमार, शशि भूषण दास, मुकेश चौपाल, जिबक्ष कुमार हजारी और अमृता कुमारी उम्मीदवार थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में समस्तीपुर सीट पर कुल 60.74 फीसदी मतदान हुआ था। इसमें जीतने वाले लोजपा के रामचंद्र पासवान को 55.19 फीसदी वोट मिले थे। रामचंद्र पासवान के निधन के बाद 2020 में उपचुनाव हुआ तो उनके बेटे व लोजपा उम्मीदवार प्रिंस राज को जीत मिली थी। जबकि 2014 में इस सीट पर 57.38 फीसदी मतदान हुआ था। तब जीतने वाले रामंचद्र पासवान को 31.33 फीसदी वोट मिले थे। आपको बता दें कि इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा सीटों में 5 सीटें एनडीए के पास हैं जबकि एक सीट राजद के पास है।