इस वक्त की बड़ी खबर भाजपा से जुड़ी हुई सामने आ रही है। विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी एमलसी सम्राट चौधरी को भाजपा बिहार का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पत्र जारी कर सम्राट चौधरी को भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसकी जानकारी मीडिया कर्मियों को भाजपा MLC और मीडिया को-हेड संजय मयूख ने दी है।
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RJD और JDU छोड़ BJP में शामिल हुए थे सम्राट
सम्राट चौधरी एक ऐसे नेता है जिन्होंने हर राजनीतिक घाट का पानी पिया हुआ है। कई पार्टियों से होते हुए वो भाजपा में शामिल हुए थे। साल 2014 में सम्राट चौधरी राजद छोड़कर जदयू में शामिल हुए थे। जदयू में शामिल होने के बाद उन्हें एमलसी बनाया गया और फिर कुछ समय के लिए मंत्री भी रहे। साल 2014 में जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था। उस वक्त सम्राट चौधरी मांझी गुट के समर्थन में थे। मांझी को जब मुख्यमंत्री पद से हटा कर नीतीश कुमार खुद मुख्यमंत्री बने।
उसके बाद भी कई सालों तक सम्राट चौधरी मांझी गुट के समर्थन में ही रहे। साल 2018 में वो भाजपा में शामिल हुए। उस वक्त बिहार में महागठबंधन की सरकार थी। साल 2020 का विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा और जदयू की सरकार में उन्हें पंचायती राज मंत्री बनाया गया। वही पिछले साल सत्ता परिवर्तित हुई जिसके बाद एक बार फिर से भाजपा विपक्ष में आ गई। जिसके बाद उन्हें विधान परिषद् का नेता विपक्ष बनाया गया। वही अब उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।
कुशवाहा समाज पर BJP की निगाह
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे भाजपा की सोची-समझी रणनीति बताई जा रही है। दरअसल सम्राट चौधरी कुशवाहा समाज से आते हैं। जिनकी आबादी बिहार की कुल आबादी का लगभग 8 प्रतिशत है। सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजापा इन्ही वोटरों में अपनी छवि को बनाने की तैयारी में है। चूंकि कुशवाहा समाज का झुकाव सबसे अधिक जदयू की तरफ रहता है लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के जदयू से अलग होने के बाद से ऐसा कहा जा रहा है कि कुशवाह समाज का बहुत बड़ा धड़ा जदयू से नाराज है। इनसब के बीच सम्राट चौधरी को भाजपा की तरफ से बड़ी जिम्मेदारी दिए जाना बहुत कुछ बयां कर रहा है।