बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार और महागठबंधन का साथ छोड़कर भाजपा के साथ एनडीए में तामझाम से एंट्री ली। भाजपा के साथ आने के लिए मांझी ने पार्टी को मिले एकमात्र मंत्री पद को भी ठुकरा दिया। लेकिन जीतन राम मांझी को भाजपा से भी पूरा साथ नहीं मिल रहा है। इसका मतलब यह नहीं कि भाजपा और मांझी की राजनीतिक राहें जुदा हो रही हैं। लेकिन इसका मतलब यह जरुर है कि मांझी के हर बयान पर भाजपा का समर्थन नहीं है। दरअसल, जीतन राम मांझी ने बिहार में शराबबंदी को खत्म करने का बयान दिया। भाजपा ने इस बयान से किनारा करते हुए साफ कर दिया कि भाजपा शराबबंदी खत्म करने के पक्ष में नहीं हैं।
दरअसल, जीतन राम मांझी ने कहा था कि बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी तो शराब से प्रतिबंध हटा दिया जाएगा। लेकिन मांझी के इस बयान पर बिहार के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी का कहना है कि शराबबंदी पर कोई समझौता नहीं हुआ है और न ही उनकी पार्टी करेगी। भाजपा बिहार में शराब पर लगे प्रतिबंध को हटाने के पक्ष में नहीं है। भाजपा की सरकार आई तो भी शराबबंदी लागू रहेगी।
दूसरी ओर जीतन राम मांझी शुरू से ही शराबबंदी को हटाने के पक्षधर रहे हैं। एनडीए सरकार में भी उन्होंने शराबबंदी को हटाने की मांग कई बार की है। महागठबंधन का हिस्सा रहते हुए भी मांझी शराबबंदी पर सवाल उठाते रहे हैं। जीतनराम मांझी ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून पूरी तरह फेल है। उनकी सरकार आई तो इस कानून को वापस लिया जाएगा। शराबबंदी से गरीब एवं पिछड़े लोगों को परेशानी हो रही है। सिर्फ दलित और गरीब लोग शराब केस में जेल में बंद हैं। रोजाना 400-500 रुपये कमाने वाला शख्स दो से तीन हजार रुपये का जुर्माना कैसे भरेगा, इसलिए वह जेल चला जाता है। जबकि पैसे वाले लोग जुर्माना भरकर शराब केस में छूट जाते हैं। लेकिन सम्राट चौधरी ने मांझी के बयान का खंडन कर दिया है।