पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और सीएम नीतीश कुमार के बीच विधानसभा में जो कुछ हुआ, वो दबा हुआ इतिहास नहीं बन पा रहा है। सीएम नीतीश ने इस पर चुप्पी साध ली है। खुद जीतन राम मांझी ने मौन साध कर विरोध करना पसंद किया। लेकिन मांझी के विरोध पर नीतीश के सेनानी पूरी तरह मुखर हो चुके हैं। मांझी की हर बात का विरोध और उनके हर कदम का विरोध कर नीतीश के सेनानियों ने अपना स्ट्रेंथ बना लिया है।
भाजपा एवं आरएसएस की भाषा बोल रहे मांझी : अंजुम आरा
नीतीश कुमार पर जीतन राम मांझी दलितों के अपमान का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन जदयू की प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा ने जीतन राम मांझी को दलित विरोधी और आरक्षण का विरोधी बता दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जी का आरक्षण एवं दलित विरोधी चेहरा अब जनता के बीच में पूरी तरह से उजागर हो चुका है। जीतन राम मांझी आरएसएस एवं भाजपा की भाषा बोल रहे हैं। मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा की बात कही थी। वही भाषा जीतन राम मांझी बोल रहे हैं।
अंजुम आरा ने आगे कहा कि राजनीतिक आरक्षण की समीक्षा तब तक नहीं हो सकती जब तक परिसीमन ना हो जाये तथा परिसीमन के लिए जातीय जनगणना का होना आवश्यक है जो कि केंद्र सरकार ने अब तक कराया नहीं। मांझी जी ने तो इस विषय पर अपना मुंह तक नहीं खोला। फिर किस मुंह से आरक्षण समीक्षा की यह बात कर रहे हैं?
दलितों के मसीहा हैं नीतीश कुमार : युवा जदयू
वहीं, बिहार युवा जदयू के प्रदेश प्रवक्ता अजीत दुबे ने कहा नीतीश कुमार बिहार राज्य में दलितों के मसीहा हैं। जिस प्रकार बिहार राज्य में दलितों के उत्थान के लिए नीतीश कुमार ने कार्य किए हैं, वह उदाहरण है। लोग उनकी कार्यशाली को देखते हुए अपने राज्यों में दलित के उत्थान के लिए योजनाएं बना रहे हैं। नीतीश कुमार ने सभी राज्यों के लिए एक मिसाल कायम की है। उनके सरकार में सभी जात धर्म के लोगों के उत्थान के लिए समाजवादी विचार के तहत कार्य किया जा रहे हैं। युवा उनके कार्यों से खुश हैं और आने वाले भविष्य में उनका बिहार और देश के नेतृत्व में चुनना चाहते हैं।