बिहार के विश्वविद्यालयों की सबसे बड़ी समस्या यहां के सत्र की अनियमितता है। कई बार तीन साल की डिग्री के लिए छात्रों को पांच साल तक का इंतजार करना पड़ता है। जो भी कुलाधिपति हो, विश्वविद्यालयों में सत्र को नियमित करने का निर्देश सभी जारी करते हैं। इसके बावजूद बिहार के विश्वविद्यालयों का सत्र अभी तक लेट ही चल रहा है। बिहार की शिक्षा व्यवस्था में आए दिन अपने निर्देशों के कारण चर्चा में रहने वाले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने विश्वविद्यालयों में सत्र नियमित कराने का नया तरीका ढूंढा है। इस तरीके में केके पाठक ने उन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को वेतन के लिए इंतजार कराने का निर्णय लिया है, जहां के छात्र अपनी परीक्षाओं और रिजल्ट का इंतजार करा रहे हैं। इसमें कुलपति के साथ प्रतिकुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, वित्त पदाधिकारी और वित्त मरामर्शी का वेतन भी बंद कर दिया गया है।
दो विश्वविद्यालयों में कार्रवाई
शिक्षा विभाग की यह कार्रवाई दो विश्वविद्यालयों के अधिकारियों पर हुई है। इसमें पहला है मगध विश्वविद्यालय, बोधगया और दूसरा है जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा। यहां के कुलपति, प्रतिकुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, वित्त पदाधिकारी और वित्त मरामर्शी का वेतन बंद कर दिया गया है। विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि विलंबित परीक्षाओं के लंबित परीक्षाफल के प्रकाशन होने तक वेतन स्थगित रहेगा। रिजल्ट में लेटलतीफी से स्टूडेंट्स को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
दोनों विवि में परीक्षा व रिजल्ट के हालात
दरअसल, मगध विश्वविद्यालय में स्नातक के सत्र 2020-23 का रिजल्ट अभी तक लंबित है। जबकि स्नातकोत्तर स्तर पर तो सत्र 2019-21 भी पूरा नहीं हुआ है। वहीं जय प्रकाश विश्वविद्यालय में भी स्नातक के सत्र 2020-23 का रिजल्ट अभी तक लंबित है। जबकि स्नातकोत्तर स्तर पर तो सत्र 2020-22 भी पूरा नहीं हुआ है।