जदयू ने पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की छुट्टी तय कर दी है। नीतीश कुमार ने शनिवार को स्पष्ट कह दिया कि उपेंद्र कुशवाहा कहीं भी जाने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। नीतीश कुमार इतना ही पर नहीं रुके, उन्होंने यह भी कह दिया पहले भी वे छोड़कर बाहर चले गए थे, उनकी क्या इच्छा है यह तो वही बता सकते हैं। नीतीश कुमार ने आगे कहा कि पता चला कि बीमार हैं। लेकिन कहीं जा रहे हैं तो चले जाएं, वे स्वतंत्र हैं।
Nitish रखते रहे लिहाज, Tejashwi ने सीधे चेता दिया
पहले बर्खास्त हो चुके हैं उपेंद्र कुशवाहा
नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के बीच का रिश्ता अजीब है। दोनों कई बार साथ और अलग हुए हैं। 2007 में जब उपेंद्र कुशवाहा को जनता दल यूनाइटेड से बर्खास्त कर दिया गया था, तब उन्होंने 2009 में राष्ट्रीय समता पार्टी की स्थापना की थी। लेकिन उपेंद्र कुशवाहा ने तत्कालीन महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल के समर्थन से बनी राष्ट्रीय समता पार्टी का विलय कर 2009 में नीतीश कुमार के साथ आ गए। इसके बाद 2013 में एक बार फिर उपेंद्र कुशवाहा की नीतीश कुमार के बीच की दूरी बढ़ी।
तब उन्होंने जेडीयू से यह कहकर इस्तीफा दिया कि नीतीश मॉडल फेल हो चुका है। उपेंद्र कुशवाहा ने यहां तक कहा था कि नीतीश कुमार अपनी सरकार को अपने मर्जी से चलाते हैं और जनता दल यूनाइटेड को उन्होंने पॉकेट के संगठन में बदल दिया है।
रालोसपा का जदयू में कराया था विलय
मार्च 2013 में उपेंद्र कुशवाहा ने रालोसपा का गठन किया और एनडीए में शामिल हो गए। 2014 में तीन सीटें लोकसभा चुनाव में मिली तो सभी सीटें कुशवाहा की पार्टी ने जीती। लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए से बाहर हो गए। इसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव और 2020 का विधानसभा चुनाव दोनों उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी बुरी तरह हारी। तब 2021 में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी का विलय जनता दल यूनाइटेड में कर दिया था।
जेडीयू में विलय के बाद नीतीश कुमार ने पार्टी के कोटे से उपेंद्र कुशवाहा को विधान परिषद का सदस्य बनाया था। इसके बाद नीतीश ने उन्हें जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी सौंप दी थी। लेकिन उपेंद्र कुशवाहा डिप्टी सीएम या कोई दूसरी सक्रिय भूमिका चाहते थे। पर नीतीश कुमार ने पहले उनके डिप्टी सीएम के सपने को तोड़ा और अब एक तरह से पार्टी से भी मुक्त कर दिया।