बिहार में जाति आधारित गणना का रिपोर्ट जारी किया जा चुका है। जिसके बाद से बिहार के राजनीतिक मुद्दे का मुख्य केंद्र जाति ही बन गया है। सभी पार्टियाँ अपने-अपने फायदे के अनुरूप जातीय समीकरणों को फिट करने में लगी हुई है। ऐसे में भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले कैलाशपति मिश्र की 100 वीं जयंती पर पटना में आयोजित कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी शिरकत करना चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके पीछे भाजपा का मकसद सवर्ण वोटरों को साधने का है।
जातियों की गोलबंदी की तैयारी
5 अक्टूबर को कैलाशपति मिश्र की 100 वीं जयंती पर पटना के बापू सभागार में एक कार्यक्रम रखा गया है। जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल होंगे। जानकारों की माने तो कार्यक्रम के जरिए भाजपा का मुख्य उद्देश्य सवर्ण जातियों की गोलबंदी करने का है। बताया जा रहा है कि भाजपा का वोट बैंक कहे जाने वाले सवर्ण उनसे नाराज चल रहे हैं। उन्हें अपने पाले में ही रखने के लिए भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है।
भूमिहारों पर सभी पार्टियों की नजर
बिहार में राजनीतिक पार्टियों की नजर सवर्ण वोटरों में सबसे अधिक भूमिहारों पर हैं। क्योंकि बिहार में पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, जहानाबाद, बेगूसराय, नवादा, सीतामढ़ी, आरा ऐसे जगह हैं जहाँ भूमिहार वोटर चुनावी जीत-हार को ज्यादा प्रभावित करते हैं। भूमिहारों को अबतक भाजपा का कोर वोटर ही माना जाता रहा है। लेकिन जदयू और कांग्रेस ने इसमें सेंधमारी का मन बना लिया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह इस बात के उदाहरण है। दोनों ही भूमिहार जाति से हैं। इसलिए भाजपा भी अपना पूरा दम इन वोटरों पर पकड़ मजबूत करने में झोंक रही है।