वक़्त जब बदलता है किसी के अच्छे दिन भी आ जाते है और जब बिगड़ता है तो सबकुछ छिन भी जाता है। ऐसा ही हुआ है बोकारो ज़िले के कथारा के झिरकी के रहनेवाले दिव्यांग मो. मकसूद अंसारी के साथ, वह बिल्कुल भी चलने में असमर्थ है। अपनी गायकी के दम पर इंडियन आइडल 7 में स्थान पाने वाले मक़सूद ने जहां पूरे देश मे अपना जलवा बिखेरा और अपनी पहचान बनाई, अपनी गायकी के दम पर मुंबई में तीन वर्षों तक सुरेश वाडेकर के गायकी टीम का हिस्सा भी रहे। लेकिन उनके जीवन मे कोरोना ने ऐसा कोहराम मचाया कि उनका सबकुछ तबाह हो गया।
कोरोना की वजह से मुम्बई से वापस घर लौटना पड़ा
कोरोना की वजह से उन्हें मुम्बई से वापस अपने घर कथारा लौटना पड़ा। यहां पहुंचकर पहले तो उन्होंने कोरोना खत्म होने का इंतज़ार किया। उन्हें उम्मीद थी कि कोरोना के खत्म होते ही वो वापस मुम्बई लौटेंगे, लेकिन उन्हें अपनी पुरानी टीम से कोई सहारा नही मिला। इसके बाबजूद 27 वर्षीय दिव्यांग मक़सूद ने आज भी अपना हौसला नही खोया है।
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परिवार का पेट पालने के लिए बन गया स्ट्रीट सिंगर
आज मक़सूद अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए स्ट्रीट सिंगर बन बाज़ारों और चौकचौराहों पर लोगों के बीच अपनी गायकी की क्षमता का प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों से मिले पैसों से अपना गुजारा कर रहे है। मक़सूद का हौसला देख हम सहज ही कह सकते है कि मक़सूद भले ही दिव्यांग हो, लेकिन उनके हौसले आज भी बुलन्द है।