चतरा जिले की ऐतिहासिक प्राचीन ईटखोरी के महाने नदी के तट पर अवस्थित भद्रकाली मंदिर के अस्तित्व पर मंडरा खतरा रहा है। हिन्दू, जैन व बौद्ध धर्मों का समागम स्थली अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी पहचान रखने वाले प्रसिद्ध मां भद्रकाली परिसर के वातावरण पर इन दिनों अवैध चिमनी के कारण खतरा मंडरा रहा है। मंदिर व नदी के तटीय इलाकों में संचालित दर्जनों अवैध ईट भट्टे की अवैध चिमनियां इसका मुख्य कारण बन गई है। जो भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं।
मंदिर परिसर व आसपास के इलाके हो रहे हैं प्रभावित
गौरतलब है कि इटखोरी के प्राचीन महाने नदी के तटीय इलाकों में अवैध रूप से संचालित ईट भट्टे की व्यवसाय को ले अवैध उत्खनन तथा पेड़ पौधे का विनस्टिकरण करते हुए जहां एक ओर प्रकृति के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर अवैध चिमनियों के कारण जलवायु परिवर्तन का भी खतरा मंडरा रहा है। जिससे मंदिर परिसर व आसपास के इलाके पूरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
इधर इटखोरी की पूर्व प्रमुख सह समाजसेवी ने चिंता जाहिर करते हुए अवैध रूप से संचालित अवैध चिमनी को हटाने की मांग करते हुए जिले के इटखोरी स्थित भद्रकाली परिसर में अवस्थित ऐतिहासिक धरोहरों के साथ-साथ नदियों के अस्तित्व पर भी मंडरा रहे खतरे से बचाने की मांग की है।
अवैध रूप से संचालित की जा रही चिमनी
इधर डीएमओ गोपाल दास इस मामले में बताते हैं कि प्रारंभिक जांच में अवैध रूप से संचालित की जा रही चिमनी की जानकारी मिलने के बाद उसके मालिक पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। साथ ही उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि टास्क फोर्स गठित करते हुए चिमनी को वहां से हटाने की भी कार्रवाई की जाएगी।
उजड़ रहे पेड़ पौधे के कारण कई चीजें प्रभावित हो रही है
बहरहाल ईट भट्ठा व चिमनी के अवैध संचालन पर विभागीय कार्रवाई एक अच्छी खबर है। किंतु इसकी आड़ में अवैध उत्खनन तथा उजड़ रहे पेड़ पौधे के कारण कई चीजें प्रभावित हो रही है। जिनमें मुख्य रुप से प्राचीन व ऐतिहासिक नदियों के अस्तित्व तथा प्रकृति के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन को भी प्रभावित होने से नहीं रोका जा सकता। जिसकी सुरक्षा हम सबों का मूल दायित्व है।