वन और रैयती भूमि पर अफीम के पौधों का हब बन चुके चतरा जिले में अब सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। क्योंकि पुलिस द्वारा इस संबंध में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाए जाने के बाद परिणाम स्वरूप इसका सुखद परिणाम मिल रहा है और ग्रामीणो ने खुद ही अपने खेतों में लगे अवैध फसलों को नष्ट करना शुरू कर दिया है। अब तो ग्रामीण भी अपने आप में जागरूकता अभियान चलाकर गांव में बैठक कर रहे हैं जहां दवाओं के दुष्प्रभावों और फसल की अवैधता पर प्रकाश डाला जा रहा है।
कई एकड़ में लगे अफीम के पौधों को किया गया नष्ट
दरअसल चतरा जिले के नक्सल प्रभावित वशिष्ठनगर थाना क्षेत्र के कुरखेटा के ग्रामीणों ने कई एकड़ वन भूमि में लगे अफीम के पौधों को नष्ट कर दिया। वहीं दूसरी तरफ उनके द्वारा पौधों को नष्ट करने और भूमि को समतल करने के लिए ट्रैक्टरों तक का इस्तेमाल किया गया।
एसपी राकेश रंजन ने कहा कि वे अफीम, ब्राउन शुगर और अन्य अवैध ड्रग्स बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली अफीम की फसलों के खिलाफ नियमित जागरूकता अभियान चला रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप, जिले में पहली बार ग्रामीण अपने दम पर फसलों को नष्ट कर रहे हैं। एसपी राकेश रंजन ने कहा, “हमारा अभियान अब रंग ला रहा है क्योंकि ग्रामीण अपने क्षेत्रों में अफीम की खेती को नष्ट कर रहे हैं।”
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एक समय था जब पुलिस के हस्तक्षेप के बावजूद ग्रामीण इलाकों में लोग अफीम यानि जहर की खेती करने से बाज नहीं आ रहे थे और आज पुलिस द्वारा निरंतर पोस्ते की खेती को नष्ट किए जाने के साथ-साथ जागरूकता अभियान चलाए जाने का एक सकारात्मक पहलू यह उभर कर सामने आया कि अब ग्रामीण ही अपने खेतों में लगाए गए पोस्ते यानी अफीम की खेती को भी नष्ट करने में लग गए हैं।