शिक्षा विभाग के एसीएस के के पाठक और बीपीएससी अध्यक्ष अतुल प्रसाद के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है जिसको सुलझाने का जिम्मा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उठाया है। दोनों के बीच के मसले खत्म हो इसके लिए मुख्यमंत्री ने दोनों के आवास पर बैठक की थी, इस बैठक को लेकर अब कहा जा रहा है कि दोनों अपनी बातों पर अड़े रहे और कोई हल नहीं निकल पाया। हालांकि नीतीश चाहते थे कि दोनों के बीच विवाद खत्म खत्म हो और आपसी तालमेल के साथ काम करें। पर ऐसा नहीं हो पाया।
बता दें कि के के पाठक और अतुल प्रसाद के बीच बढ़ते टकराव से बिहार सरकार की काफी किरकिरी हो रही है लोग उनकी कार्यशैली पर सवाल उठा रहे है। जिसको देखते हुए नीतीश ने सोमवार को अपने आवास पर के के पाठक और अतुल प्रसाद के साथ बैठक की थी। इस दौरान सीएम ने केके पाठक और अतुल प्रसाद कहा कि इस विवाद के कारण जनता के बीच गलत संदेश जा रहा है। ऐसे में अहंकार को छोड़ आपसी तालमेल से काम करें। कहा जा रहा है कि सीएम के साथ मीटिंग के दौरान अतुल प्रसाद और केके पाठक अपने-अपने स्टैंड पर अड़े रहे और खुद को सही ठहराते रहे
शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के डॉक्यूमेंट सत्यापन को लेकर हुई थी दोनों के बीच टकराव
दरअसल, राज्य के माध्यमिक और प्राथमिक विद्यालय में चल रही 1.70 लाख शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के डॉक्यूमेंट सत्यापन का कार्य चल रहा है। जिसमें शिक्षकों की भी ड्यूटी लगाई गई थी। इसके बाद शिक्षा विभाग के सचिव ने पत्र लिखकर कहा था कि टीचरों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के कार्य में लगाने से शैक्षणिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ रहा है। इसके बाद बिहार सरकार के तरफ से टीचरों की ड्यूटी रद्द कर दी गई थी। टीचरों की ड्यूटी रद्द होने से बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष काफी नाराज हुए, और उन्होंने अपनी नाराजगी ट्वीट कर जाहिर की थी। जिसके बाद से ही दोनों के बीच ठन गई। इसके बाद बीपीएससी और शिक्षा विभाग के बीच पत्र के जरिए संग्राम छिड़ गया। शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक ने बीपीएससी को कानूनी कार्रवाई तक की चेतावनी दे दी