IAS के.के. पाठक की छवि के सख्त अधिकारी के रूप में है। उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाती है उसे वो बहुत सख्ती के साथ करते हैं। कुछ समय पहले ही उन्हें शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया है। जिसक बाद से वो बिहार में शिक्षा से जुड़े क्षेत्र की स्थिति को सुधारने के लिए एक के एक बड़े फैसले ले रहे हैं। इनदिनों उनके एक फैसले को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है। उनके फैसले को लेकर सरकार से ही उनकी तनातनी सामने आ रही है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने उन्हें पीत पत्र भेज दिया है। वही नीतीश मंत्रिमानादल में नए-नए शामिल हुए मंत्री रत्नेश ने भी फैसले को लेकर नाराजगी जताई है।
के. के. पाठक के कड़े फैसले
दरअसल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक सबसे पहले तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मियों को जींस टीशर्ट में कार्यालय आने पर रोक लगा दी। इसके बाद उन्होंने शिक्षकों की मनमानी के खिलाफ भी बड़ा एक्शन लिया। उन्होंने आदेश दिया कि किसी को बिना बताए यदि सरकारी स्कूल के शिक्षक गायब होंगे तो उनका वेतन काट लिया जाएगा। साथ ही हर शिक्षकों को दो बार अपनी मौजूदगी दर्ज करवानी होगी। इसके आलावा शिक्षा विभाग का कार्यालय शनिवार को भी खुला रखने को लेकर भी पत्र जारी किया गया है। केके पाठक के आदेश के बाद ऐसी डीएम और जिला शिक्षा अधिकारी भी एक्शन मोड में आ गए।
आदेश आने के तीन दिन के अंदर ही डीएम और जिला शिक्षा अधिकारी के औचक निरिक्षण में कई शिक्षक गायब पाए गए। जिनका वेतन अगले आदेश तक रोक दिया गया है। इन्ही सब फैसलों को लेकर उनकी सरकार से तनातनी चला रही है। शिक्षा मंत्री ने उन्हें पीत पत्र भेज दिया है।
केके पाठक पर भड़के नीतीश के मंत्री
नीतीश कैबिनेट में मंत्री रत्नेश सदा भी के.के. पाठक के फैसलों पर भड़के हुए हैं। मंत्री रत्नेश सदा ने कहा कि शिक्षा विभाग में सरकार के अपर मुख्य सचिव ने जो पत्र जारी किया है उससे पहले उनको समझना चाहिए कि जो नियम जारी किया गया है वह महादलित के साथ अन्याय करने का काम कर रहा है। विद्यालय में 90% बच्चों की उपस्थिति नहीं होने पर अनुदान राशि में 25% की कटौती करना कभी भी उचित नहीं हो सकता है। पहले ही महादलित टोला सेवकों को बहुत कम पैसे दिए जाते हैं। इस तरह का फरमान जारी कर के के पाठक मनमानी कर रहे हैं। उनका यह व्यवहार अशोभनीय है। इसको लेकर हम मुख्यमंत्री से बात करेंगे उसके बाद अब यह बात सही ढंग से बताएंगे।