शिक्षा विभाग की कमान संभालते ही के के पाठक ने शिक्षा व्यवस्था में कई तरह के बदलाव किए। इस बदलाव में कई कड़े नियम भी लागू किए गए, जिसका विरोध उन्हें लगातार झेलना पड़ रहा है। शिक्षक की नाराजगी तो दिख रही है कई नेताओं ने भी अपनी नाराजगी दिखाई। राजद नेता से लेकर बीजेपी नेताओं ने नाराजगी दिखाई है वहीं शिक्षा मंत्री और राजभवन से उनका विवाद छुपा नहीं है शिक्षा मंत्री और राजभवन के बाद इसमें BPSC के अध्यक्ष के इसमें एंट्री हो चुकी है। अध्यक्ष से शुरु हुई यह लड़ाई सचिव तक आ गई है। BPSC के अध्यक्ष ने एक ओर जहां ट्रवीट के जरिए के के पाठक पर निशाना साधा वहीं अब आयोग के सचिव ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर भविष्य में पत्र ना लिखने की हिदायत दी है।
BPSC के सचिव ने शिक्षा निदेशक को पत्र न लिखने की दी चेतावनी
बिहार लोक सेवा आयोग के सचिव रवि भूषण ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर भविष्य में चिट्ठी ना लिखने की सख्त हिदायत दी है। दरअसल, जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि सभी जिला में शिविर आयोजित कर आवेदकों के प्रमाण पत्र का सत्यापन कराया जा रहा है। साथ ही इस कार्य में शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारियों,कर्मियों यहां तक की कुछ जिलों में शिक्षक की भी ड्यूटी लगा दी गई है। इसी पर शिक्षा विभाग की ओर से बीपीएससी को पत्र लिखा गया है। शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद के तरफ से बीएससी के सचिव को पत्र लिखकर कहा गया था कि कर्मचारियों की प्रमाण पत्र सत्यापन में टीचरों की ड्यूटी लगाना नियमों के विपरीत है इसलिए उन्हें तुरंत कार्य मुक्त किया जाए। जिसपर अतुल प्रसाद ने ट्वीट कर नाराजगी जाहिर की थी लेकिन अब बिहार लोक सेवा आयोग के सचिव रवि भूषण ने पत्र लिखकर नसीहत दी है।
बिहार लोक सेवा आयोग के सचिव रवि भूषण ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को एक पत्र लिखा है। इस लेटर के माध्यम से उन्होंने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को हिदायत दी है पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा है कि अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन आयोग की आंतरिक प्रक्रिया है। आयोग की आंतरिक प्रक्रिया के औचित्य पर प्रश्न चिन्ह लगाना या इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप करना और इस प्रकार से आयोग पर दबाव डालने का प्रयास करना असंवैधानिक, अनुचित और अस्वीकार्य है। सचिव ने लिखा है कि आश्चर्य है कि शिक्षा विभाग को इन सब प्रावधानों का पता होने के बाद भी बिना प्रमाण पत्रों के सत्यापन के ही आयोग से अनुशंसा की अपेक्षा की जा रही है।