जेडीयू नेता और MLC नीरज कुमार ने बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक पर हमला बोला है। के के पाठक के हाल में लिए गए कुछ निर्णयों का उन्होंने विरोध किया है। नीरज कुमार से पूछे जाने पर कि के के पाठक तो आपकी ही सरकार तले काम करने वाले अधिकारी हैं, तो क्या उनके द्वारा लिए गए कई निर्णयों का आप विरोध करेंगे? नीरज कुमार ने इसपर कहा कि, “देखिये जो सही है वो सही है और जो गलत है वो गलत है। नीरज कुमार ने आगे कहा ,”देखिये गाँव के सरकारी विद्यालयों की व्यवस्था,विद्यालयों के परिचालन ,शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति से आम लोगों या छात्रों के अभिभावकों में काफी संतोष है। लेकिन पाठक की कुछ नीतियाँ ऐसी हैं, जिनपर हमको घोर आपत्ति है। विद्यालय का समय सुबह के 10 बजे से शाम के 4 बजे तक होता है , फिर 5 बजे तक इसको खोले रखने का क्या औचित्य है! हमने शिक्षक के पद पर महिलाओं को भी भर्ती किया है। देर होने पर उन्हें असुविधा होती है, क्यूंकि ग्रामीण इलाकों में देर शाम तक यातायात के साधन मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है। वहीँ दूसरी ओर उन्होंने शिक्षकों को दी जाने वाली छुट्टियों के सन्दर्भ में के के पाठक द्वारा उठाये गए कदम पर जदयू एमएलसी ने टिपण्णी की, कहा,”छुट्टी भारत सरकार द्वारा निर्धारित है। , सरकार के रुल-रेगुलेशन के मुताबिक़ ये पहले से ही तय होता है कि कितने दिन कार्यदिवस होंगे और कितने दिन छुट्टियाँ। इसमें सामंजस्य और संतुलन जरूरी है। मुझे लगता है कि विभाग को इसपर अवश्य ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का अधिकार है, “छुट्टियाँ देके आप उनपर कोई कृपा नहीं बरसा रहे।” इससे पूर्व के के पाठक के द्वारा ये फरमान सुनाया गया था कि शिक्षकों को 10% से अधिक छुट्टियाँ नहीं दी जाएँगी। नीरज कुमार से फिर पूछने पर कि हाल में एक CPI के MLC द्वारा के के पाठक के विरुद्ध बयान दिए जाने पर उनका पेंसन रोक दिया गया ,क्या ये अब आपके (नीरज कुमार) साथ भी हो सकता है, क्यूंकि आप भी उनका विरोध कर रहे हैं, का जवाब देते हुए नीरज कुमार ने कहा कि, “करने को तो कोई कुछ भी कर सकता है, तो हमको क्या कार्य संचालन और नियमावली की जानकारी नहीं है। उनके विरुद्ध कदम उठाने का हमको अधिकार नहीं है?” बिहारी लहजे में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि, “हम कोई चंडूखाना से आये हैं!, अरे प्रशासनिक सेवा की परीक्षा के लिए पात्रता क्या हममे नहीं था?, हम राजनीति में अपनी पात्रता को साबित किये। आप शिक्षकों का वेतन या किसी जन प्रतिनिधि का पेंसन कैसे रोक दीजियेगा!,ये अधिकार आपको किसने दिया? ये अधिकार किसी को नहीं है। नीरज कुमार ने अंत में ये भी कहा की हम उनके खिलाफ जो भी वैधानिक प्रक्रिया होगी, उसका सहारा अवश्य लेंगे।