[Team insider] झारखंड विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में बाबुलाल मरांडी के दल बदल मामले में VC के जरिये सुनवाई हुई। विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो के न्यायाधिकरण में सभी पक्षों ने अपनी बात रखी। बाबुलाल मरांडी के वकील ने फिर से एक बार शिकायत में 10 महीने का विलंब होने का हवाला देते हुए इस याचिका को रद्द करने की मांग की। वहीं प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के वकील सुमित गाड़ोदिया ने कहा कि संविधान में कहीं कोई समय का उल्लेख नहीं है, जब इस मामले पर फैसला आएगा तब उनके सदस्य बनने की तारीख से ये लागू होगा।
सदस्यता रहने और नहीं रहने को लेकर सुनवाई होगी
विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ने राजकुमार यादव, भूषण तिर्की , प्रदीप यादव और बंधु तिर्की की शिकायत को स्वीकार कर लिया है। अब आगे न्यायाधिकरण में सिर्फ मैरिट पर सुनवाई होगी। न्यायाधिकरण ने सभी इश्यू को स्वीकार कर लिया है। अब बाबुलाल मरांडी की सदस्यता रहने और नहीं रहने को लेकर सुनवाई होगी। सूत्रों की माने तो दल बदल मामले में बहुत जल्द फैसला आ सकता है।
2020 में झाविमो का भाजपा में हुआ विलय
दलील यह दी गई कि यह केस विधानसभा की नियमावली के प्रतिकूल है। 11 फरवरी 2020 को झाविमो का भाजपा में विलय हुआ था। छह मार्च को इलेक्शन कमीशन ने मर्जर को सही करार दिया। मर्जर के 10 महीने बाद बाबूलाल के खिलाफ 16 दिसंबर 2020 को पहला केस फाइल किया गया था। दसवीं अनुसूची के रूल 6 के तहत दल बदल के मामले में देर से किया किया गया ऑब्जेक्शन खारिज हो जायेगा।