झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। कोर्ट ने ईडी को हेमंत सोरेन की 5 दिनों की रिमांड भी ग्रांट कर दी है। इस बीच चंपई सोरेन को महागठबंधन ने अपना नेता चुनते हुए सीएम पद पर बिठा दिया है और चंपई सोरेन ने विधानसभा में विश्वासमत हासिल भी कर लिया है। चंपई सोरेन को विश्वासमत के दौरान 47 वोट मिले यानि क्रॉस वोटिंग की कोई गुंजाइश नहीं दिखी। लेकिन हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का का असर झारखंड की राजनीति में क्या होगा, यह अगला सवाल है। इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए एबीपी-सी वोटर ने एक सर्वे किया है। सर्वे के नतीजों में परेशानी भाजपा की बढ़ सकती है।
सी वोटर के सर्वे के अनुसार झारखंड में आदिवासी वोटर्स की नाराजगी भाजपा को झेलनी पड़ सकती है। क्योंकि सर्वे में शामिल लोगों में से 42 फीसदी का मानना है कि आदिवासी वोटर हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के एपिसोड को लेकर नाराज हो सकते हैं। हालांकि 33 फीसदी लोगों का यह भी मानना है कि इस प्रकरण में भाजपा को फायदा भी हो सकता है।
वैसे हेमंत की गिरफ्तारी का बड़ा असर उनके राजनीतिक कॅरियर पर नहीं पड़ेगा, यह सर्वे में शामिल 6 फीसदी लोगों का कहना है। जबकि 6 फीसदी लोग यह कह रहे हैं कि हेमंत की गिरफ्तारी से I.N.D.I.A. को फायदा हो सकता है। जबकि 13 फीसदी लोग कुछ भी कह सकने की स्थिति में नहीं हैं।
दूसरी ओर इसी सर्वे के अनुसार हेमंत सोरेन के गिरफ्तारी और इस्तीफे से झारखंड में गठबंधन सरकार पर असर पड़ने के सवाल के जवाब में 39 फीसदी लोगों का कहना है कि असर पड़ेगा। जबकि 43 फीसदी लोग मानते हैं कि कोई असर नहीं पड़ेगा। जबकि 18 फीसदी लोग इस स्थिति में नहीं हैं कि कुछ कह सकें।
इस सर्वे के आधार पर भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ऐसी स्थिति में बड़ा भार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और पीएम नरेंद्र मोदी पर पड़ेगा। क्योंकि नरेंद्र मोदी को तीसरी बार पीएम बनने के लिए झारखंड में भाजपा का बेहतर प्रदर्शन कायम रखने की जरुरत है। ऐसे में झारखंड मे मोदी लहर चलती रहे, यही भाजपा की जरुरत है। जबकि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से उनके लिए आई सहानुभूति की लहर काटने की जिम्मेदारी पूर्व सीएम व भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को निभानी होगी, जो खुद आदिवासी समुदाय से हैं।