रांची में हुए जमीन घोटाले और उसकी जांच कर रही ईडी ने पीएमएलए कोर्ट में बड़ा खुलासा किया है। ईडी ने कोर्ट को पूरी जानकारी दी है। जिसमें बताया गया है कि रांची में गलत कागज बना कर सालों से जमीन की हेराफेरी की जा रही थी। इसके लिए पूरा रैकेट काम कर रहा था।
इस जमीन घोटाले का मास्टरमाइंड अफसर अली ही है। अफसर अली जेएमएम नेता अंतू तिर्की, मो. सद्दाम हुसैन, बड़गाई अंचल के तत्कालीन राजस्व उप निरीक्षक भानू प्रताप प्रसाद, जमीन कारोबारी बिपिन सिंह, प्रिय रंजन सहाय और इरशाद अख्तर के साथ मिलकर जमीन घोटाले का बड़ा रैकेट चला रहा था।
ईडी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक रैकेट में शामिल लोग पहले भुइहरी जमीनों को चिन्हित करते थे। जमीन चिन्हित करने के दौरान वे इस बात की पूरी तफ्तीश कर लेते थे कि इस जमीन की बिक्री नहीं हो सकती थी। फिर उक्त जमीन की डीड और दस्तावेज अरेंज करते थे। फिर रैकेट के सदस्य उस जमीन के मूल डीड में छेडछाड़ कर जमीन की प्रकृति में हेरफेर कर देते थे। फिर उस जमीन को बेच देते थे। इस रैकेट में अफसर अली ही वह व्यक्ति है तो फर्जी डीड बनाने का काम करता था। अपने साथियों के साथ मिल कर रांची और कोलकाता स्थित भू-राजस्व विभाग के सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से रांची में बड़े पैमाने पर जमीनों की हेराफेरी की है।
ईडी के अधिकारियों ने अदालत को बताया कि सद्दाम हुसैन के आवास से छापे के दौरान जब्त 1940 के एक डीड 3985 में हेराफेरी अफसर अली ने ही की थी। यह डीड 6.34 एकड़ जमीन के लिए तैयार की गई थी, जिसमें खाता नंबर 234 के कई प्लाट भी शामिल हैं। इसके अलावा खाता नंबर 234 के प्लाट नंबर 989 की 84 डिसमिल और प्लाट नंबर 996 की 32 डिसमिल जमीन भी इसमें शामिल थी। ईडी के अनुसार दोनों ही प्लाट पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की कब्जे वाली बरियातू की 8.86 एकड़ जमीन के हिस्से हैं।
1940 की उक्त डीड की सभी 6.34 एकड़ जमीन भुइहरी प्रकृति की है, जिसकी खरीद-बिक्री प्रतिबंधित है। उक्त डीड की जमीन को भुइहरी प्रकृति से बदलने में सद्दाम को अफसर अली का साथ मिला था। मूल डीड में फर्जीवाड़ा करने के लिए इरशाद ने अफसर अली को रजिस्ट्रार आफ एश्योरेंस कोलकाता से ब्लैंक पेपर उपलब्ध कराया था।
ईडी की पूछताछ में अफसर अली ने स्वीकार किया है कि उसने पंजी टू के मूल दस्तावेज में भी छोड़छाड़ किया। रांची के गाड़ी मौजा में 1974 के डीड नंबर 3954 और 1940 के डीड नंबर 2376 में भी फर्जीवाड़ा किया। जो 4.83 एकड़ जमीन से संबंधित था। यह जमीन गाड़ी मौजा के खाता नंबर 53 के 37.10 एकड़ का हिस्सा था। इसमें उसका सहयोग बिपिन सिंह, प्रिय रंजन सहाय, भानु प्रताप प्रसाद, शेखर कुशवाहा सहित कई लोगों ने किया।