छपरा में इन दिनों खनुआ नाले पर प्रशासन का बुलडोजर चल रहा है। बीते दो दिन से लगातार अतिक्रमण को हटाया जा रहा है। यह अतिक्रमण हटाओ अभियान इस कारण महत्वपूर्ण है क्योंकि खनुआ नाले पर अवैध अतिक्रमण बारिश के दौरान शहर में जलजमाव का एक बड़ा कारण था। लेकिन डीएम अमन समीर की अगुवाई में चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान अब आगे बढ़ रहा है।
1995 में नगरपालिका ने बनवाई दुकानें
जिस खनुआ नाला पर अतिक्रमण की बात हो रही है वो लगभग 450 साल पुराना है। छपरा शहर में मुगलकाल के समय में बीचो-बीच खनुआ नहर था। यह व्यापार के लिए इस्तेमाल होता था। नावों का परिचालन इसमें होता था। अकबर के समय उसके वित्तमंत्री राजा टोडरमल ने 1574 में नहर का निर्माण कराया था। लेकिन बाद में यह नाला रह गया। इसके बाद 1995 में जिला प्रशासन ने खनुआ नाला पर 386 दुकानें बना आवंटित किया गया।
NGT भी है सख्त
शहर को जल-जमाव से मुक्त कराने के लिए अवैध अतिक्रमण के खिलाफ रिटायर्ड विंग कमांडर बीएनपी सिंह ने मुहिम चलाई है। साल 2015 के बाद से ही एनजीटी कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके बाद एनजीटी इस मामले में सख्त है। साल 2017 में अवैध अतिक्रमण को हटाने का ऑर्डर आया था। लेकिन स्थानीय स्तर की प्रशासनिक व्यवस्था की उलझन अभी तक सुलझ नहीं पाई थी। लेकिन अब इसे दुरुस्त करने की कोशिशों में प्रशासन जुटा है।
तीन अधिकारियों ने किया है काम
छपरा में अतिक्रमण के खिलाफ तीन अधिकारियों का खुला सपोर्ट दिखा है। इसमें छपरा में डीएम रहे नीलेश चंद्र देवरे ने 127 दुकानों को हटवाया था। जबकि पूर्व डीएम सुब्रत सेन के दौरान भी कई प्रशासनिक गतिविधियां संचालित की गई थी। अब डीएम अमन समीर ने दो दिनों में अब तक 160 अवैध दुकानें हटवा दी हैं। शेष 136 बची दुकानों को हटाने की भी तैयारी चल रही है।
सारण विकास मंच का समर्थन
दूसरी ओर इस मामले में सारण विकास मंच ने भी प्रशासनिक व्यवस्था का खुलकर समर्थन किया है। सारण विकास मंच के संयोजक शैलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि अतिक्रमण के खिलाफ जिला प्रशासन की कार्रवाई का पूरा समर्थन है। गैर कानूनी अतिक्रमण को हटाने के बाद ही शहर की व्यवस्था में व्यापक सुधार दिख सकता है।