बिहार के बड़े शहरों में से एक मुजफ्फरपुर का यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जो बिहार पुलिस के अमानवीय चेहरे को उजागर करता है। यह तस्वीर यह दिखाती है कि बिहार पुलिस में ऐसे पुलिसकर्मी भी हैं। जो गैर जिम्मेदाराना रवैया से फर्ज ही नहीं अपने पूरे विभाग के मुंह पर कालिख पोत बदनाम कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर बिहार पुलिस का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें देखा जा सकता है कि पुलिस घायल व्यक्ति को अस्पताल में ले जाने के बजाए उसे नहर में फेंकती नजर आ रही है।
शख्स की अभी तक नहीं हो पाई पहचान
मामला मुजफ्फरपुर का है जहां पुलिस के तीन जवान सड़क हादसे में घायल शख्स को अस्पताल पहुंचाने के बजाए उसे घसीट कर पुल से नीचे नहर में फेंकते नजर आ रहे है। इस दौरान वहां मौजूद किसी शख्स ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया, जो खूब वायरल हो रहा है।सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो फकूली ओपी क्षेत्र के ढोढी नहर पुल का बताया जा रहा है।वीडियो सामने आने के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। घायल शख्स को नहर में फेंकने के कारण उसकी पहचान अभी तक नहीं हो सकी है। वही इस वीडियो की पुष्टि इनसाइडर लाइव नहीं करता।
पुलिस ने वायरल वीडियो पर दी सफाई
वहीं मामले के सामने आने के बाद मुजफ्फरपुर एसएसपी कार्यालय की तरफ से बयान जारी किया गया है वह सवाल खड़े करता है जारी बयान में कहा गया है कि 8 अक्टूबर को फकुली ओपी अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मौत मौत हो गई। सूचना मिलते ही ओपी प्रभारी तत्काल मौके पर पहुंचे और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया। उन्होंने आगे कहा कि कपड़े में शव के बुरी तरह से चिपके हुए हिस्से को पास के नहर में प्रवाहित किया गया। पूरी बॉडी को नदी में प्रवाहित नहीं किया गया है। सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा उसकी जांच की जा रही है सही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। यह तस्वीर न सिर्फ मानवता को शर्मसार करती है वहीं यह तस्वीर पुलिस विभाग के कर्मचारियों की मानसिकता पर भी सवाल खड़े करती है। इतना ही नहीं यह बिहार के तमाम पुलिस कर्मियों की ट्रेनिंग को भी दर्शाती है।
इनसाइडर लाइव ऐसी खबरों और ऐसी घटनाओं पर उम्मीद करता है कि पुलिस विभाग और गृह विभाग ऐसी कार्यवाही करें ताकि अन्य पुलिस कर्मियों के लिए भी उदाहरण हो। जहां पुलिस कर्मियों को घायल व्यक्ति को उठाकर अस्पताल पहुंचना चाहिए था। अगर शख्स मर गया था तो उसकी पहचान की जानी चाहिए थी। पोस्टमार्टम किया जाना चाहिए था मगर पुलिसकर्मियों ने अपने फर्ज को ना निभाते हुए खाकी को भी बदनाम किया और अपने पूरे विभाग को भी।
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