बिहार में ऐसे कई दार्शनिक स्थल है, जो दुनिया भर में अपने इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है। भागलपुर से लगभग 45 किलोमीटर दूर बांका जिले का ‘मंदार पर्वत’ भी लोगों के लिए एक ऐसा ही दर्शनिक स्थल है, जिसकी खुबसूरती लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। इसे ध्यान में रख कर पर्यटन विभाग मंदार पर्वत की खूबसूरती को पर्यटकों के लिए डेस्टिनेशन के रूप में विकसित कर रहा है। पर्यटन विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने कहा कि बांका में इको टूरिज्म के विकास के लिए पर्यटन विभाग सतत कार्यशील है। इसे देखते हुए उनके लिए और भी सुविधाएं विकसित करने की योजना पर पर्यटन विभाग काम कर रहा है।
रोपवे पर्यटकों को करता है आकर्षित
अभय कुमार सिंह ने बताया कि जो प्रकृति की गोद में रोमांच का आनंद लेते हैं, वो बांका में इसे आजमाएं। मंदार पर्वत पर निर्मित रोपवे पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। रोपवे के जरिए पर्यटक मंदार पर्वत के शिखर पर पहुंच कर ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व वाले मंदिरों और कुंडों के दर्शन करते हैं। यहां खूबसूरत परिक्रमा पथ है। आने वाले दिनों में वोटिंग की फैसलिटी शुरू होने वाली है। ओढ़नी वाटर स्पॉट बिहार की टॉप प्लेस बनने जा रही है। आने वाले दिनों में ओढ़नी में जेट्सकी और पैरा सेलिंग जैसी सुविधाएं शुरू हो जाएंगी। इसके अलावा हनुमना डैम को भी इको स्पॉट के रूप में विकसित करने की योजना है। जिसमें जंगल ट्रैक के साथ टूरिस्ट पैलेस एक्टिविटी करने का मौका मिलेगा।
मंदार पर्वत से ही समुद्र मंथन
700 फीट ऊंचे इस पर्वत के बारे में पुराणों और महाभारत में कई कहानियां प्रचलित हैं। मंदार पर्वत से संबंधित एक कथा यह भी है कि देवताओं ने अमृत प्राप्ति के लिए दैत्यों के साथ मिलकर मंदार पर्वत से ही समुद्र मंथन किया था। राजा बलि जब तीनों लोकों के स्वामी बने, उस दौरान स्वर्ग के देवता इंद्र समेत सभी देवता और ऋषियों ने भगवान श्री हरि विष्णु से तीनों लोकों की रक्षा की प्रार्थना की थी।
देवों द्वारा याचना करने पर श्री हरि ने उन्हें समुद्र मंथन करने की युक्ति दी थी। भगवान विष्णु ने देवों को कहा कि समुद्र मंथन से अमृत की प्राप्ति होगी, जिसके पान से देवता अमर हो जाएंगे। कालांतर में क्षीर सागर में वासुकी नाग और मंदार पर्वत की सहायता से समुद्र मंथन किया गया। इस मंथन से 14 रत्न, विष और अमृत प्राप्त हुए थे। मंथन के समय अमृत का पान देवताओं ने किया और विष का पान भगवान शिव ने।