बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी लगातार शराब चालू करने की मांग करते रहे है, इसको लेकर वो लगातार नीतीश पर हमलावर रहे है। गुजरात के गिफ्ट सिटी में शराब पीने की छूट दिए जाने के बाद मांझी एक बार फिर नीतीश पर हमलावर दिखे।मांझी सीएम पर हमला बोलते हुए कहा कि नीतीश कुमार तो सौ चूहा खाकर हज को जाने की तरह काम कर रहे हैं। 2005 से लेकर 2010 तक नीतीश कुमार ने घर-घर तक शराब को पहुंचा दिया और आज दिखाना चाह रहे हैं कि वह शराब के सबसे बड़े विरोधी हैं। हम समझते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गुजरात सरकार से सबक लेनी चाहिए और जैसे वहां आज शराब की छूट मिली है वैसे ही बिहार में शराब की छूट मिलनी चाहिए ताकि व्यापार बढ़ सके।
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बिहार में शराबबंदी की वजह से पर्यटकों की संख्या नहीं बढ़ रही
मांझी ने एक बार फिर बिहार में शराब चालू करने की मांग कर दी। उन्होंने कहा कि गुजरात मॉडल के तर्ज पर बिहार में शराबबंदी होनी चाहिए। जीतन राम मांझी ने कहा कि बिहार सरकार को गुजरात सरकार से सीख लेनी चाहिए। ताकि बिहार को शराबबंदी से रेवेन्यू का नुकसान ना हो। मंझी ने आगे कहा की शराब एक पेय पदार्थ है। आवश्यकता अनुसार शराब फायदेमंद भी होता है। यह बात हम बार बार कहते आ रहे है। मांझी ने कहा कि खासकर शराब उन लोगों के लिए जरूरी है जो काम करते हैं मजदूरी करते हैं उनको एक लिमिट मात्रा में शराब की आवश्यकता होती है। जब हम इस बात को कहते हैं तो लोग हमारी बातों को उल्टा अर्थ निकलते हैं गुजरात में आज राज सरकार ने गिफ्ट के नाम पर शराब को खुला छोड़ा है। इसलिए गुजरात सरकार को हम धन्यवाद देना चाहते हैं की जो भी पर्यटन उस राज्य में जाते हैं उन्हें शराब सेवन करने की अनुमति रहती है
हमारे यहां यदि पर्यटन डैमेज हुआ है तो वह शराबबंदी के कारण, हमारे बिहार में आज शराब बंदी नहीं होता तो पर्यटकों की संख्या अधिक होती। सरकार भले ही दावा कर रही है कि पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है वह इजाफा सिर्फ कागजों पर ही सीमित है। गया में जितने विदेशी पर्यटक आ रहे हैं शाम को एक भी पर्यटक गया में नहीं रुकते हैं शराब के लिए या तो उन्हें यूपी बनारस जाना पड़ता है या फिर झारखंड के हजारीबाग या पश्चिम बंगाल चले जाते हैं यदि बिहार में शराबबंदी नहीं होता और यह शराब मिलता तो पर्यटक यहां रुकते और सरकार को रेवेन्यू का फायदा होता।