बिहार में सुल्तानगंज से लेकर खगड़िया के अगुवानी घाट के बीच पुलध्वस्त हो गई, जिसको लेकर सरकार ने जांच का ऐलान किया है। जिसके बाद सतारुढ़ दल के विधायक डॉ संजीव कुमार ने पुल गिरने के लिए बिहार के पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत को दोषी ठहराया है। विधायक ने कहा है कि जो दोषी है, वहीं जांच करेगा तो क्या हकीकत सामने आयेगी। इसके साथ ही विधायक ने इसकी जांच हाईकोर्ट के जज से करवाने की मांग की है।
पहले भी पुल निर्माण में उठा चुके है भ्रष्टाचार का मुद्दा
बता दें कि जेडीयू विधायक डॉ संजीव कुमार ने इस साल मार्च में ही बिहार विधानसभा में पुल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था कि निर्माणाधीन पुल के पायों में दरारें आ रही हैं, पिछले साल ही पुल का सुपर स्ट्रक्चर ध्वस्त हो चुका है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। जिसके बाद डिप्टी सीएम और पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी यादव ने पुल में किसी प्रकार की गड़बड़ी की बात मानने से इंकार करते हुए कहा था कि हम जान माल की कोई क्षति नहीं होने देंगे।
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भ्रष्टाचार के खेल में शामिल है प्रत्यय अमृत
जेडीयू विधायक डॉ संजीव कुमार ने आज मीडिया से बात करते हुए कहा कि सुल्तानगंज-अगुवानी घाट पुल में भ्रष्टाचार के सबूत के साथ उन्होंने पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत से पहले ही मुलाकात कर उन्हें दिखाया था कि कैसे पुल के पायों में दरारें आ गयी हैं। जिसके बाद प्रत्यय अमृत ने कहा कि जहां गड़बड़ी है वहां तोड़ कर नये सिरे से काम कराया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रत्यय अमृत को पुल के जिस पाये में दरार आने की जानकारी सबूत के साथ दी थी, वही पाया रविवार को सबसे पहले ध्वस्त हुआ और फिर सब कुछ बर्बाद हो गया।
डॉ संजीव कुमार ने कहा कि ये साफ दिखाता है कि इस मामले में प्रत्यय अमृत खुद शामिल हैं। अब अगर सरकार उन्हें ही जांच का जिम्मा दे रही है तो इससे बडा मजाक क्या हो सकता है। जो खुद मुजरिम है वही जांच करेगा तो रिपोर्ट क्या आयेगी। सरकार इस मामले की जांच हाईकोर्ट के जज से कराये। तभी सच्चाई सामने आ पायेगी और ये पता चल पायेगा कि कौन-कौन इस मामले में संलिप्त है। ये पूरा भ्रष्टाचार का खेल है।
“जिस डिपार्टमेंट में जाते है वहां का बॉस समझने लगते हैं“
इसके साथ ही विधायक ने कहा कि प्रत्यय अमृत जैसे अधिकारी को तुरंत पद से हटाना चाहिये। वे ऐसे अधिकारी है, जो जिस विभाग में जाते है खुद को उसका बॉस समझने लगते है। ये स्वास्थ्य विभाग में जाते हैं तो खुद को सबसे बड़ा डॉक्टर समझने लगते हैं. पथ निर्माण विभाग में आते ही खुद को सिविल इंजीनियर घोषित कर देते हैं। अगर उन्हें लॉ डिपार्टमेंट का सचिव बना दिया जाये तो वे खुद को जज समझने लगेंगे। ऐसे अधिकारी के कारण ही सरकार बदनाम हुई है।
डॉ संजीव कुमार ने कहा कि प्रत्यय अमृत कहते है कि सरकार वहां नया पुल बनायेगी। तो क्या नया पुल बनाने से भ्रष्टाचार का मामला खत्म हो जायेगा। ये तो वैसी ही बात हुई कि किसी आदमी की हत्या करने के उद्देश्य से गोली मार दी जाये। अगर वह आदमी इलाज के बाद बच जाए, तो गोली चलाने वाले को दोषी नहीं माना जाएगा। इसके साथ ही कंपनी पर आरोप लगाते हुए कहा कि एसपी सिंघला नाम की कंपनी ने पुल बनाने का काम लेते ही पूरे इलाके में मौत का नंगा नाच किया था, कम से कम 24 लोगों की हत्या की जा चुकी है। लोकल पुलिस को मैनेज कर भ्रष्टाचार से लेकर रंगदारी का खेल खेला जा रहा था। इसकी जानकारी अधिकारी को दी गयी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।