शिक्षकों की नियुक्ति या नियोजन का मुद्दा बिहार में हमेशा से अहम रहा है। एक वक्त था जब शिक्षकों के खाली पद और नियुक्ति का धीमापन इस मुद्दे को गरमाए रखता था। बाद में खाली पदों पर जल्दी नियुक्ति की मांग ने मुद्दे को जिंदा रखा। नई नियमावली लागू करने पर नीतीश कुमार की सरकार समर्थन से अधिक विरोध के कारण चर्चा में है। हर दिन विरोध के स्वर बढ़ते जा रहे हैं। नीतीश-तेजस्वी सरकार इस मामले में ऐसे फंसी है कि उनके विरोधी तो हमलावर हैं ही, सरकार के साथी भी हमलों से नहीं चूक रहे। तो अब अध्यापक नियमावली का नया प्रारूप एक बवंडर बना हुआ है। इस बवंडर में नीतीश कुमार की सरकार एक-दो नहीं सात मोर्चों पर घिरी है। यानि नीतीश सरकार के खिलाफ सात मोर्चों का चक्रव्यूह तैयार है।
- शिक्षक संघ की नाराजगी : नई नियमावली पर सरकार जितना ही कम विरोध चाहती है, विरोध उतना ही बढ़ते जा रहा है। सरकार ने तो साफ कर दिया है कि इस नियमावली का शिक्षकों द्वारा विरोध अपराध की श्रेणी में आ जाएगा। लेकिन शिक्षक संघों का विरोध हर दिन नए मुकाम की तरफ बढ़ रहा है। शिक्षक अभी सड़कों पर नहीं उतरे हैं लेकिन विरोध की सुगबुगाहट तेज हो चुकी है।
- हाई कोर्ट में मामला : टीईटी शिक्षक संघ की ओर से अध्यापक नियमावली 2023 को रद्द करते हुए शिक्षा के अधिकार कानून के तहत शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण 2 लाख टीईटी शिक्षकों को ज्वाइनिंग डेट से राज्य कर्मी का दर्जा देने हेतु हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई। टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा की अध्यापक नियमावली 2023 पूरी तरह से असंवैधानिक एवं कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली नियमावली है।
- भाकपा माले की चेतावनी : सरकार को समर्थन दे रही भाकपा-माले ने अध्यापक नियमावली का खुला विरोध किया है। विधायक संदीप सौरभ ने पूरे मामले में साफ कहा है कि सरकार को ऐसे आलोकतांत्रिक आदेश को वापस लेना चाहिए और आंदोलनरत नियोजित शिक्षकों से संवाद करना चाहिए। साथ ही संदीप ने यह भी कहा है कि अतार्किक और शिक्षक विरोधी ‘नियमावली’ के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने से रोकने वाला यह सर्कुलर अफ़सोसजनक है। यह शिक्षा विभाग की तानाशाही है।
- भाकपा का अल्टीमेटम : भाकपा-माले की तरह भाकपा भी इस नियमावली पर सरकार के खिलाफ है। सरकार में शामिल सात दलों के गठबंधन में भाकपा भी शामिल है। लेकिन सरकार की इस नीति का विरोध भाकपा खुले मंच से किया है। सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने मीडिया से कहा है कि शिक्षकों पर सरकार कार्रवाई कैसे कर सकती है? वार्ता करनी चाहिए। शिक्षा विभाग को समाधान निकालना होगा।
- कार्रवाई पर बिगड़ी माकपा : लेफ्ट के दो पार्टियों भाकपा और भाकपा-माले की तरह माकपा भी इस मुद्दे पर नीतीश सरकार के साथ नहीं हे। माकपा इसे बर्दाश्त करने को तैयार नहीं कि बिहार सरकार शिक्षकों पर कार्रवाई की बात कर रही है। सीपीएम के राज्य सचिव ललन चौधरी ने मीडिया से कहा है कि मुद्दा कोई भी हो बात होनी चाहिए। शिक्षकों के साथ सरकार बात नहीं कर कार्रवाई की चेतावनी दे रही है, यह शर्मनाक है।
- मांझी हुए निराश : वैसे तो पूर्व सीएम जीतन राम मांझी हर हाल में नीतीश कुमार के साथ होने के दावे करते रहे हैं। लेकिन इस मुद्दे पर वे भी डगमगा गए हैं। अध्यापक नियमावली 2023 पर जीतन राम मांझी बेबस दिख रहे हैं। उन्होंने कहा है कि यह गलत बात है कि इस फैसले को हमारा समर्थन है। इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है और बिना चर्चा के ही यह फैसला ले लिया गया है। यह गलत है और अतार्किक है।
- कांग्रेस की असहजता : महागठबंधन सरकार में राजद और जदयू के बाद सबसे बड़ी हिस्सेदारी वाली कांग्रेस को भी नई अध्यापक नियमावली नहीं पच रही है। कांग्रेस कह रही है कि शिक्षकों की योग्यता पर सवाल उठाना सही नहीं है। हालांकि कांग्रेस का स्टैंड अभी इस मामले में सरकार के विरोध में जाने तक नहीं गया है। प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह शिक्षकों के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं।
अध्यापक नियमावली 2023 पर टीईटी शिक्षक संघ की आपत्तियां
- CWJC – 2796/2022 में पारित आदेश का उल्लंघन
- नियमावली 2012 एवं 2020 में प्रारंभिक शिक्षकों के 3 ग्रेड बताए गए थे। बेसिक स्नातक और मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक लेकिन अध्यापक ने वर्ष 2023 में प्रधानाध्यापक पद का जिक्र ही नहीं है, जबकि इसे प्रमोशन से भरा जाना था।
- इस नियमावली में प्रोन्नति का कोई प्रावधान नहीं है।
- कंडिका 4 में लिखा गया है कि सभी सीटों को सीधी भर्ती से भरा जाएगा जबकि पूर्व में स्नातक ग्रेड के 50% पद प्रमोशन से भरे जाते थे।
- कंडिका 5(iii) लिखा गया है कि पूर्व से नियोजित शिक्षक यदि दक्षता परीक्षा भी पास हो तो उन्हें टीईटी की परीक्षा से छूट मिलेगी। क्या NCTE नई बहाली में टीईटी परीक्षा से छूट देने को स्वीकृति दी है?
- कंडिका 5 (iv) में लिखा गया है कि विषय विशेष शिक्षकों की योग्यता अलग से बिहार सरकार निर्धारित करेगी? क्या बिहार सरकार को अलग से योग्यता निर्धारित करने का अधिकार है? क्या एनसीटीई से उसकी स्वीकृति ली जाएगी?
- कंडिका 55 में लिखा गया है कि उम्र सीमा में छूट दी जाएगी, इसका क्या आधार है? इसका निर्णय अलग से क्या और कैसे लिया जाएगा, यह भी स्पष्ट नहीं है।
- कंडिका 7(iv) एवं 7(v) में यह लिखा गया है कि परीक्षा का पाठ्यक्रम का निर्धारण और पैटर्न का निर्धारण आयोग द्वारा किया जाएगा। क्या इसमें NCTE द्वारा तय मानकों का पालन होगा? क्या NCTE के पाठ्यक्रम का पालन किया जाएगा और उसी पैटर्न पर परीक्षा ली जाएगी? यह भी स्पष्ट नहीं है।
- क्वालीफाइंग मार्क्स तय करने की प्रक्रिया क्या होगी? क्या पूर्व से कार्यरत शिक्षकों और शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए अलग-अलग अहर्तांक होंगे?
- कंडिका 7(iii) में केवल तीन बार परीक्षा में भाग ले सकने की बाध्यता लगाई गई है। इसका क्या आधार है? क्या बीपीएससी या अन्य आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा में इस तरह की कोई बाध्यता है?
- कंडिका 8 में बताया गया है कि पंचायती राज संस्थाएं एवं नगर निकाय संस्था के अंतर्गत नियुक्त कार्यों के लिए अलग से प्रक्रिया निर्धारण किया जा सकेगा। इस प्रक्रिया का भी इसमें कहीं कोई उल्लेख नहीं है।
- क्या अलग से प्रक्रिया निर्धारण में शिक्षकों की वरीयता और उनके सेवा अवधि का संरक्षण किया जाएगा?
- जो पे स्ट्रक्चर का निर्धारण किया गया है उसमें केवल शुरुआती मूल वेतन बताया गया है और वह मूल वेतन राज्य कर्मियों के लिए देय पे स्ट्रक्चर के किसी लेवल में वर्णित नहीं है। नए पे स्केल की जरूरत क्यों और इसका संवैधानिक अधिकार क्या है?
- यदि सरकार राज्य कर्मियों के संभाल शिक्षकों की बहाली कर रही है तो पूर्व से कार्यरत राज्य कर्मी शिक्षकों के समान ही वेतनमान एवं अन्य भत्ते दिए जाने चाहिए।