SARAIKELA : आज देवस्नान पूर्णिमा है। इसका आध्यात्मिक महत्व है। मान्यता के अनुसार देवस्नान पूर्णिमा से रथ उत्सव का शुभारंभ हो जाता है। देवस्नान पूर्णिमा के मौके पर महाप्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा एवं बड़े भाई बलभद्र का महास्नान 27 कुओं के औषधीय मिश्रित जल से करने के बाद भगवान अब बीमार हो जाते है। अगले 14 दिनों तक मंदिरों के पट बंद रहते हैं। मान्यता है कि इस दौरान महाप्रभु बहन सुभद्रा एवं भाई बलभद्र के साथ स्वास्थ्य लाभ करते हैं। 14 दिनों के बाद महाप्रभु स्वस्थ्य होकर भक्तों को दर्शन देंगे, जिसे नेत्रोत्सव संस्कार कहा जाता है।
सुबह से जमे थे श्रद्धालु
रविवार को सरायकेला में देव स्नान पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया गया। चंदन जात्रा के बाद ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा के दिन महाप्रभु जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के साथ मंदिर के गर्भ गृह से बाहर आते हैं। देवस्नान के लिए रविवार को सुबह से ही श्रद्धालु मंदिर में एकत्र होने लगे थे। सरायकेला के जगन्नाथ मंदिर में पारंपरिक तरीके से मंत्रोच्चार के बीच भगवान का मंगल स्नान संपन्न हुआ। मान्यता के अनुसार ज्यादा स्नान करने के बाद भगवान की तबीयत बिगड़ जाती है और इस दौरान उनका औषधियों से इलाज किया जाता है। तीनों प्रतिमाओं को मंदिर से बाहर निकाला गया। नए वस्त्रों का आसन बिछाकर उनकी विधिवत पूजा-अर्चना की गई। जिसके बाद गंगाजल, दूध, पंचामृत, फूल, चंदन, इत्र सहित अन्य सुगंधित द्रव्यों को 27 कुओं से लाए गए जल में मिलाकर उन्हें स्नान कराया गया। पूजन व आरती के बाद महाप्रसाद का वितरण किया गया।
14 दिन औषधि व काढ़े का भोग
इधर मान्यता के अनुसार महास्नान के साथ ही महाप्रभु भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा बीमार पड़ गयी और अगले 14 दिनों के लिए स्वास्थ्य लाभ के लिए चले गए। अब अगले 14 दिनों तक भगवान जगन्नाथ का अनसर काल रहेगा। जिससे भक्तों के लिए भगवान जगन्नाथ का दर्शन वर्जित होगा। इस दौरान उन्हें औषधियों एवं काढ़ा का ही भोग लगाया जाएगा। उसके बाद भगवान के स्वस्थ होने पर उनके नए रूप में दर्शन होंगे। आगामी 19 जून को नेत्रोत्सव के साथ ही महाप्रभु नए रूप में भक्तों को दर्शन देंगे और अपने भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर होकर अपनी मौसी के घर घूमने जाएंगे।
20 जून को रथयात्रा, प्रभु जाएंगे मौसी बाड़ी
जगन्नाथ रथ यात्रा के धार्मिक महत्व के अनुसार जगन्नाथ रथ यात्रा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस यात्रा के माध्यम से भक्त अपने ईश्वर जगन्नाथ महाप्रभु के दर्शन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सरायकेला के पौराणिक जगन्नाथ मंदिर में प्रतिवर्ष जगन्नाथ रथ यात्रा के अवसर पर लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इस यात्रा के दौरान रथ को खींचने का काम लोगों द्वारा किया जाता है, जो उन्हें ईश्वर के नजदीक ले जाने का अवसर प्रदान करता है। इस यात्रा में भाग लेकर भक्त अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 20 जून को रथ यात्रा निकाली जाएगी। जहां प्रभु मौसी बाड़ी जाएंगे।