छात्र नेता कांग्रेस छात्र संगठन एन.एस.यू.आई के प्रदेश उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह की ओर से मुख्यमंत्री, झारखंड राज्य के नाम दायर परिवाद पत्र एवं राज्य के विभिन्न दैनिक समाचारों में प्रकाशित ख़बर एवं साक्ष्य को देखते हुए राज्यपाल सचिवालय के गरिमा को बनाए रखने के उद्देश्य से उच्च न्यायालय झारखंड के अधिवक्ता राजीव कुमार ने रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार को कुलपति के पद के लिए अयोग्यता का साक्ष्य दिए हैं। उपलब्ध साक्ष्यों एवं प्रकाशित खबर पर अब तक कुलपति अजित कुमार सिन्हा के द्वारा अपने पक्ष में कोई ठोस आधार जारी नहीं किया जाना इस मामले को सम्वेदनशील बनाता है I
10 वर्षों का प्रोफेसर या समतुल्य पद कार्यानुभव जरुरी
बता दें सीधा आरोप लगाया गया है कि रांची विश्वविद्यालय सहित अन्य विश्वविद्यालयों में कुलपति के रिक्त पद के लिए 23 फरवरी 2018 को विज्ञापन जारी किया गया था। अजित सिन्हा को साइंटिस्ट डी के रूप में सरकार की ओर से निर्धारित अधिकतम वेतनमान 15600-39100, पे बैंड ग्रेड पे- 8700 है। सेवानिवृत्ति के समय उनका स्वप्रमाणित अधिकतम वेतनमान लेवल 13 तक ही रहा। प्रोफेसर के लिए निर्धारित वेतनमान लेवल 14 का कार्यानुभव उन्हें नहीं रहा।
जबकि कुलपति पद के लिए जारी विज्ञापन में ये निर्धारित है कि 10 वर्षों का प्रोफेसर या समतुल्य पद कार्यानुभव होना चाहिए है, जो अभिलेखों से साफ़ नहीं होता। साथ ही अजित कुमार सिन्हा सेंट्रल तसर रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर, रांची में लगभग दो वर्ष पांच महीने तक निदेशक पद पर रहे तथा वहां से 60 साल की उम्र में 31 अगस्त 2018 में सेवानिवृत्त हुए। निदेशक पद का अधिकतम वेतनमान भी प्रोफेसर के निर्धारित वेतनमान के बराबर नहीं होता है I
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पद की नियुक्ति के लिए भी निर्धारित योग्यता नहीं रखते
अजीत कुमार सिन्हा को रांची विश्वविद्यालय से 1981 में जूलॉजी में 50.5 प्रतिशत प्राप्तांक के साथ एमएससी किया इससे यह स्पस्ट है कि व्याख्याता के पद की नियुक्ति के लिए भी निर्धारित योग्यता नहीं रखते हैं। ऐसे में उनकी कुलपति के रूप में की गई नियुक्ति में उनके द्वारा दिए गए प्रमाणपत्रों की न्यायिक जांच अत्यंत ही आवश्यक बन गया है I साथ ही यदि अजित कुमार सिन्हा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 2019 में पारित आदेश के अनुसार नियुक्त किए गए हैं तो इसका जानकारी आम जनों के लिए जारी किया जाना चाहिए ताकि राज्यपाल सचिवालय का गरिमा बना रहे I