संविदा पर नियुक्त विशेष शिक्षक लगातार धरने पर बैठे हैं। उनकी एक हीं मांग है, नियोजित शिक्षकों की तरह उन्हें भी समान दर्ज़ा दिया जाए। विशेष शिक्षकों का कहना है कि वे 2005- 2006 से लगातार 14300 मानदेय पर दिव्यांग बच्चों को पढ़ाते आ रहे हैं। आम बच्चों की तरह दिव्यांग बच्चों को भी शिक्षा का सामान अधिकार प्राप्त है। उन दिव्यांगों को शिक्षित करने के लिए प्रदेश की सरकार केंद्र सरकार से हर महीने करोड़ों रुपये लेती है। ऐसे में अध्यापकों को भी अन्य शिक्षकों की तरह समान पद और सम्मान मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल हीं में 7200 पदों पर विशेष शिक्षकों की बहाली का आदेश दिया है। इसी का हवाला देते हुए इन शिक्षकों का कहना है कि बिहार में अभी 963 विशेष शिक्षक नियुक्त हैं और इन पदों का कोर्ट के फैसले के अनुरूप समंजन कर देना चाहिए। शिक्षकों ने कहा कि लगभग 30 दिनों से वे धरने पर बैठे है जिससे दिव्यांग बच्चो की पढाई भी बाधित है। सरकार उन बच्चो के बारे में भी नहीं सोच रही। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक को क्रांतिकारी बताते हुए शिक्षकों ने उनसे अपील की, कि दिव्यांग शिक्षा को भी उसी क्रांति की आवश्यकता है। और उसके लिए दिव्यान्गों को शिक्षित करने वाले अध्यापकों को भी नियोजित शिक्षकों के साथ समंजित किया जाए। शिक्षकों ने साथ में ये धमकी दी कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो वे आत्मदाह कर लेंगे।