बिहार में शिक्षकों की भर्ती का पैमाना कई तराजूओं पर तौला जाता रहा है। नियुक्ति की प्रक्रिया बदली है, नियोक्ता बदले हैं। अभी कैलेंडर भी नहीं बदला जब सरकार ने नियुक्ति की प्र्क्रिया फिर बदल दी। प्रक्रिया में नियुक्ति का जिम्मा बिहार लोक सेवा आयोग को दिया गया। इस नियुक्ति में यह शर्त भी शामिल रही कि बिहार में शिक्षक बनने के लिए आवेदकों का बिहार का स्थायी निवासी होना अनिवार्य है। लेकिन अब यह शर्त हटा दी गई है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने के दस्तखत से इस बाबत अधिसूचना भी जारी हो चुकी है क अब नियुक्ति के लिए बिहार का स्थायी निवासी होना अनिवार्य नहीं है।
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कैबिनेट ने दी मंजूरी
बिहार सरकार ने बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियमावली 2023 में एक संशोधन किया है। संशोधन को कैबिनेट की ओर से मंजूरी भी मिल गई है। मंगलवार को हुई बैठक में इसे मंजूरी मिली। वैसे तो अध्यापक नियमावली पहले से विवादों में रही है लेकिन अभी नए संशोधन के बाद इसका विवाद और बड़ा हो सकता है। कारण कि अब दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी भी बिहार में शिक्षक बन सकेंगे। जबकि पहले ऐसा नहीं था। लेकिन नीतीश सरकार ने बिहार में शिक्षक बनने के लिए अब बिहार का स्थाई निवासी होने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया।
सोशल मीडिया पर जा रहे विरोध
नीतीश कैबिनेट से निर्णय के बाद अब शिक्षक अभ्यर्थी इसका सोशल मीडिया पर विरोध कर रहे हैं। विरोध करते हुए एक यूजर ने लिखा है कि “साहब को प्रधानमंत्री बनना था और बिहारियों को शिक्षक। बस जंग इतनी सी थी और फिर जो हुआ वो बीपीएससी का आठवां संशोधन था। अब देश से आवेदन आमंत्रित है। #bihardomicile” इस पोस्ट के जरिए यूजर ने सीएम नीतीश कुमार की उन कोशिशों पर तंज कसा है, जिसमें वे देश का पीएम बदलने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही यूजर ने शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया के संशोधन में डोमिसाइल नीति को हटाने का भी विरोध किया है।