रांची : नई दिल्ली के विज्ञान भवन में गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने झारखंड के चार कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया। जिसमे से रांची के अजय मलकानी को नाटक के क्षेत्र में, बोकारो के चेतन जोशी को बांसुरी वादन,संथाली संगीत ब्रजेन्द्र पटनायक और जादूगोड़ा के दुर्गा प्रसाद मुर्मू को संगीत व नाटक के क्षेत्र में योगदान के लिए प्रदान किया।
लंबे समय से नाटक में सक्रिय है अजय मलकानी
अजय मलकानी रांची में लंबे समय से नाटक में सक्रिय हैं। वे राष्ट्रीय नाट़़य विद्यालय के छात्र रहे हैं। और आज भी वे जुड़े हैं। अजय मलकानी पिछले 42 सालों से झारखंड में रंगमंच को जीवित रखने का काम कर रहे हैं। वे रांची में धारित्री कला केंद्र भी चलाते हैं। वही उनका मानना है की झारखंड में काम करने का बहुत स्कोप है ।
यहां कि जनजातीय भाषाएं उन भाषाओं के रंगमंच को विकसित कर सकती है। यही की बोलियों को विकसित किया जा सकता है। चुकि यह रंगमंच से काफी अछूता राज्य है । रंगमंच का इतिहास काफी पुराना है। लेकिन झारखंड के जनजातीय सभ्यता में कहीं भी रंगमंच नहीं था। इसीलिए प्रवासियों के साथ चलकर रंगमंच आया। खासकर झारखंड में रंगमंच की देन बंगाली समाज की है। झारखंड में अखाड़ा की संस्कृति है । अखड़ा संस्कृति को ही विकसित करते हुए रंगमंच का हिस्सा बनाया जा सकता है।
झारखंड कला के क्षेत्र में काफी समृद्ध
ऐसा पहली बार हुआ कि झारखंड के आधा दर्जन कलाकारों को पुरस्कार प्रदान किया गया। इसके कुछ दिन पहले 15 फरवरी को दो युवा कलाकारों को उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से नवाजा गया था। वही कलाकारों का कहना है की यह हमारा नहीं, झारखंड का सम्मान है। लोगों के स्नेह के कारण यह संभव हुआ है। झारखंड कला के क्षेत्र में काफी समृद्ध है। ऐसे राष्ट्रीय पुरस्कार से झारखंड की एक छवि देश दुनिया में बनेगी। दुर्गा प्रसाद की चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।