त्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है. इस एक्सप्रेसवे के निर्माण से जहां इन तीन राज्यों के बीच यात्रा आसान हो जाएगी, वहीं बिहार को इससे सबसे ज्यादा फायदा होगा. आइए जानें इस महत्वाकांक्षी परियोजना के बारे में विस्तार से।
कुल लंबाई 519 किलोमीटर: इस एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 519 किलोमीटर है. यह तीन राज्यों से होकर गुजरेगा, जिसमें उत्तर प्रदेश में 84.3 किमी, बिहार में 416.2 किमी और पश्चिम बंगाल में 18.97 किमी का हिस्सा शामिल है।
32,000 करोड़ रुपये की लागत: इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 32,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
कम होगा यात्रा समय: फिलहाल गोरखपुर से सिलीगुड़ी जाने के लिए कोई सीधी सड़क नहीं है और इस दूरी को तय करने में 15 घंटे लग जाते हैं. लेकिन इस एक्सप्रेसवे के बन जाने के बाद यह समय घटकर केवल 9 घंटे रह जाएगा।
बिहार को होगा सबसे ज्यादा फायदा: इस एक्सप्रेसवे को भारतमाला परियोजना के तहत बनाया जा रहा है. इस परियोजना का सबसे ज्यादा लाभ बिहार को होगा. इसके बनने से बिहार के उत्तरी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
कब शुरू होगा निर्माण: अभी जमीन अधिग्रहण का काम चल रहा है और उम्मीद है कि निर्माण कार्य 2025 में शुरू हो जाएगा। इस पूरे प्रोजेक्ट को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
कौन से शहर होंगे जुड़े: यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर जिलों से होकर गुजरेगा. बिहार में पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जिलों को जोड़ेगा।
क्या है खास बात: इस एक्सप्रेसवे की खास बात यह है कि यह भारत-नेपाल सीमा के समानांतर बनाया जा रहा है। इसलिए इसका सामरिक महत्व भी है।
अगला कदम: इस परियोजना से जुड़ी जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। अब जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है।