कुछ महीनों से महंगाई में नरमी है। मार्च में खुदरा महंगाई की दर घटकर 9 महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गई थी। वैसे, अब भी खुदरा महंगाई की दर रिजर्व बैंक के लक्ष्य से ऊपर है। दूसरी ओर पूरी राहत मिलने से पहले महंगाई के मोर्चे पर नया जोखिम पैदा हो गया है। बिजनेस लाइन की रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि मई में महंगाई के आंकड़े में कुछ तेजी आ सकती है। दरअसल, सब्जियों की महंगाई 10 फीसदी के पार रहने की आशंका है। इसके लिए आलू को जिम्मेदार बताया जा रहा, जिसका इस्तेमाल सभी घरों की रसोई में बड़े पैमाने पर होता है।
आलू के भाव में 12% से अधिक बढ़ोतरी
एक महीने में आलू की कीमतों में 12 फीसदी से ज्यादा की तेजी है। सालाना आधार पर आलू 37 फीसदी के आसपास महंगा हुआ है, जो महंगाई के बास्केट में संतुलन बिगाड़ सकता है। खुदरा महंगाई के बास्केट में सब्जियों का वेटेज 7.5 फीसदी है। फूड इंफ्लेशन में सब्जियों का शेयर 15 फीसदी से अधिक है। ऐसे में आलू की बढ़ती कीमतें परेशानियां बढ़ा सकती हैं।
इस तरह बढ़े आलू के भाव
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट में बताया गया है कि आलू की खुदरा कीमतें बढ़कर 28.2 रुपये प्रति किलो पहुंच गई हैं। यह आंकड़ा 4 मई का है। एक महीने पहले आलू की खुदरा कीमतें 25.27 रुपए प्रति किलो थीं। साल भर पहले खुदरा बाजार में आलू 20.60 रुपये प्रति किलो था।
9 माह में सबसे कम खुदरा महंगाई
मार्च में खुदरा महंगाई की दर 4.85 फीसदी थी। यह 9 महीने का सबसे निचला स्तर है। फरवरी में खुदरा महंगाई की दर 5.09 फीसदी, जनवरी में 5.10 फीसदी थी। रिजर्व बैंक ने खुदरा महंगाई को 4 फीसदी से नीचे लाने का लक्ष्य तय किया है। अप्रैल के लिए खुदरा महंगाई के आंकड़े 13 मई को जारी होंगे।