मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक तरफ पार्टी में उपेंद्र कुशवाहा की तरफ से चुनौती मिल रही है। वहीं, सरकार में सहयोगी आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह भी लगातार नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं। राजद विधायक सुधाकर सिंह का सीएम नीतीश कुमार के साथ थमने का नाम नहीं ले रहा है। सुधाकर सिंह मुख्यमंत्री पर लगातार हमलावर हैं। दो दिन पहले हीं उन्होंने कहा था कि, नीतीश कुमार गुंडों की सरकार चला रहे हैं। इस मसले पर जब सीएम नीतीश कुमार से जवाब मांगा गया तो उन्होंने कहा कि वे सुधाकर की बातों पर ध्यान ही नहीं देते हैं। इसके बाद अब एक बार फिर से सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार को सियासी कठघरे में खड़ा कर दिया है। पहले वह नीतीश कुमार के काम काज पर सवाल उठाते थे। लेकिन इस बार सुधाकर सिंह ने मुख्यमंत्री के राजनीतिक जीवन पर ही सवाल उठा दिया है।
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कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी पर भी उठाए सवाल
खुद को जीरो जानकारी वाला विधायक बताते हुए सुधाकर सिंह ने मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र में कहा है कि नीतीश कुमार में कर्तव्य, निष्ठा और ईमानदारी का कोई अस्तित्व ही नहीं है। सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार को चुनाव में खुली चुनौती भी पेश कर दी है। सुधकार ने 5 पॉइंट के जरिए सवाल पूछा है। सुधाकर सिंह ने नीतीश को खुला चैलेंज देते हुए कहा कि, अगले चुनावों में अपने पसंद का कोई भी क्षेत्र चुन लिजियेगा, जनता इसका उदाहरण के साथ पुष्ठि भी कर देगी कि बिहार के लोगों का आपसे भरोसा उठ चुका और जनता वाकई मालिक है। सुधाकर सिंह ने कहा कि, नीतीश कुमार जी मेरे द्वारा किसानों के मुद्दे पर उठाए जा रहे सवालों पर कल आपके द्वारा दिए गए वक्तव्यों की जानकारी मिली। राज्य सरकार के मुखिया का दायित्व होता है कम से कम बुनियादी स्तर की ईमानदारी और राज्य के लोगों के प्रति कर्तव्यनिष्ठा रखना। पहले तो शक होता था कि आपमें इसकी कमी है मगर अब आपके द्वारा कही गई मनगढ़ंत बातों को सुनकर यही लगता है कि आपके राजनीतिक जीवन में कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी का कोई अस्तित्व ही नहीं है।
किसानों के लिए किए गए कामों की खोली पोल
सुधाकर सिंह ने पांच पॉइंट के जरिए नीतीश सरकार की किसानों के लिए किए गए कामों की पोल खोलकर रख दी है। उन्होंने बिहार के किसानों के आमदनी की हकीकत भी बताई है। पूर्व कृषि मंत्री ने कहा है कि, राज्य के अंदर दूसरे और तीसरे कृषि रोड मैप के तहत किसानों की आमदनी बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया था। उसका क्या हुआ। आगे लिखा कि आपसे यदि कोई नीतिगत मुद्दे पर तार्किक सवाल कर दे तो आपका एक ही घिसा-पिटा जवाब होता है कि सवाल पूछने वाले को कुछ नहीं पता है। खैर, आपके जैसे प्रकांड विद्वान के सामने हमारी क्या बिसात! लेकिन, आप हर सवाल और हर मुद्दे पर आप यही राग अपनाए रहते हैं कि बहुत काम हुआ है। हमें पता है कि आपकी जानकारी आंकड़ों और जमीनी हकीकत से कोई वास्ता नहीं हे। हाल के दिनों में आपने गफलत में रहने का नया शौक पाला है। निजी स्वास्थ्य पर शायद इसका कुछ ज्यादा असर न पड़े, मगर लोकहित के लिए गफलत में रहना ठीक नहीं। इसलिए यह शौक जल्द छोड़ दीजिए।