बिहार सरकार के मंत्री आलोक मेहता ने एक विवादित बयान दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आलोक मेहता ने कहा है कि “जिन्हें आज 10% में गिना जाता है वह पहले मंदिर में घंटी बजाते थे और अंग्रेजो के दलाल थे।” उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम लेते हुए आलोक मेहता ने कहा कि वे पहले मंदिर में घंटी बजाते थे। अब शासन कर रहे हैं।
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गोराडीह के सालपुर पंचायत में हुई एक सभा में शामिल होने गए राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने आगे कहा कि “जगदेव बाबू ने दलित, शोषित, पिछड़े एवं वंचितों के उत्थान की लड़ाई लड़ी, जिनकी हिस्सेदारी 90% है। उन्हें समाज में कोई सम्मान नहीं मिलता था। जो 10% हैं, उन्हें जब अंग्रेजों ने जाते वक्त सैकड़ों एकड़ जमीन देकर जमींदार बना दिया। लेकिन जो मेहनत मजदूरी करते थे उन्हें वंचित रखा गया।”
विवाद के बाद बोले आलोक मेहता ने दी सफाई
आलोक मेहता के 10 फीसदी वाले बयान को जब EWS आरक्षण से जोड़ा जाने लगा तो उन्होंने सफाई दी। उन्होंने कहा कि मेरे कहने का तात्पर्य शोषक वर्ग से था जो समय समय पर बदलते रहता है। अंग्रेजों के जाने के बाद उनके पिट्ठुओं के लिए 10 प्रतिशत का मेरा संबोधन था। वे अत्याचार करते थे। वहीं घंटी बजाने के बयान पर अपनी बात पर अड़े रहे आलोक मेहता ने कहा कि ब्राह्मणवाद के खिलाफ मधु लिमये से लेकर वीपी सिंह तक रहे हैं।