कहते हैं राजनीति में कोई किसी का स्थाई दोस्त और दुश्मन नहीं होता है। राजनीति में लोग मौक़ा ढूंढते हैं, और जब मौसम चुनाव का हो तो दुश्मन दोस्त और दोस्त पल में दुश्मन बन जाते हैं। आज कल कुछ ऐसी ही दोस्ती राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के बीच देखने को मिल रही है। जबसे मुकेश सहनी गठबंधन में शामिल हुए हैं वह तेजस्वी यादव के साथ नज़र आ रहे हैं।
साथ-साथ कर रहे हैं चुनाव प्रचार
मुकेश सहनी और तेजस्वी यादव साथ-साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। चाहें रैली हो या जनसभा या फिर हेलिकॉप्टर दोनों नेता साथ ही दिख रहे हैं। हाल ही में तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से वीडियो भी शेयर किया था जिसमें दोनों नेता मछली कहते हुए नज़र आये थे, और एक वीडियो में संतरा खाते हुए। इतना ही नहीं वीडियो में दोनों नेताओं ने एनडीए नेताओं पर तंज भी कसा था। 16 अप्रैल को शेखपुरा और जमुई में भी दोनों नेता साथ नज़र आये। इस दौरान दोनों ने पीएम मोदी के बिहार दौरे को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। मुकेश सहनी हर जगह तेजस्वी यादव के सुर में सुर मिलाते नज़र आते हैं।
राजद ने अपने कोटे से दी है तीन सीटें
बिहार महागठबंधन में सीट शेयरिंग के समय आरजेडी को 26 सीटें मिली थी। तबतक विकासशील इंसान पार्टी यानी वीआइपी की महागठबंधन में एंट्री नहीं हुई थी। बाद में तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुकेश सहनी को महागठबंधन में शामिल कर लिया। इसी के साथ तेजस्वी यादव ने अपने खाते की तीन सीट भी मुकेश सहनी को दे दी। मुकेश सहनी को गोपालगंज, झंझारपुर और मोतिहारी की सीट दी गई। महागठबंधन में शामिल होने के बाद मुकेश सहनी पुराने सभी गिले-शिकवे भूल गए और पूरी ईमानदारी से महागठबंधन की सरकार बनाने में जुट गए हैं।
तेजस्वी पर ‘पीठ में छुरा घोंपने’ का लगाया था आरोप
मुकेश सहनी ने 2020 विधानसभा चुनाव के दौरान सीट बंटवारे के समय तेजस्वी यादव पर ‘पीठ में छुरा घोंपने’ का आरोप लगाया था और महागठबंधन से बाहर हो गए थे। लेकिन इस बार मुकेश सहनी ने भाजपा पर ‘सीने में छुरा घोंपने’ का आरोप लगाया और महागठबंधन में शामिल हो गए। मुकेश सहनी ने कहा था कि चाहे एनडीए हो या इंडिया एलायंस जो निषाद आरक्षण को स्वीकार करेगा, इसपर सहमित देगा मैं उसके साथ जाऊंगा। हालांकि महागठबंधन में शामिल होने के पीछे की वजह सीटें ज्यादा मिलना बताया जा रहा है। मुकेश सहनी को एनडीए की तरफ से ज्यादा भाव नहीं मिला और 1 सीट देने की बात हो रही थी। ऐसे में मुकेश सहनी ने पाला बदलना सही समझा।
साइड में है कांग्रेस
एक और जहाँ मुकेश सहनी और तेजस्वी यादव की दोस्ती परवान चढ़ रही है तो वहीं बिहार में महागठबंधन में शामिल होने के बावजूद कांग्रेस साइड में नज़र आ रही है। महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर भी कांग्रेस और राजद में काफी खींचतान देखने को मिली। बिहार में कई सीटें कांग्रेस को उसकी मर्जी की नहीं मिली है। लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार को कांग्रेस ने दिल्ली से टिकट दिया है। जबकि कन्हैया 2019 का चुनाव लेफ्ट के टिकट पर बेगूसराय से लड़े थे। कन्हैया बेगूसराय से ही हैं लेकिन इस बार उन्हें बिहार से टिकट नहीं मिला।
वहीं पूर्णिया सीट को लेकर भी कांग्रेस में शामिल हुए पप्पू यादव ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया पर सफलता नहीं मिली। आखिर उन्होंने निर्दलीय नामांकन किया। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तो यह कह दिया कि कांग्रेस बिहार में लालू यादव की मर्जी के बिना न मुस्करा सकती है और न ही कराह सकती है। पर अब देखना है कि मुकेश सहनी और तेजस्वी यादव की यह दोस्ती कितने दिन चलती है और बिहार के लोकसभा चुनाव में यह क्या रंग दिखाती है।