लोकसभा चुनाव के लिए सियासी गुणा गणित का समय शुरू हो गया है। प्रत्येक राजनीतिक दल अपने सहूलियत के अनुसार रणनीतियाँ तैयार करने में जुट गए हैं। विपक्षी एकजुटता को लेकर जदयू की तरफ से जी तोड़ कोशिश की जा रही है। खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसके लिए पूरा जोर लगाया था। हालांकि उनके कोशिश का कोई ठोस परिणाम अबतक सामने नहीं आया। लेकिन इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समय-समय पर विपक्षी एकजुटता का राग अलापते रहते हैं। इन सबके बीच नीतीश कुमार की पार्टी को बड़ा झटका तब लगा जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ये ऐलान किया कि उनकी पार्टी टीएमसी अकेले चुनाव लड़ेगी। जिसके बाद से जदयू, समजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर उम्मीद भरी नज़रों से देख रही है।
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JDU को अखिलेश से उम्मीद
दरअसल जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का एक बयान सामने आया है। जिससे ये साफ झलक रहा कि जदयू लोकसभा चुनाव के लिए समजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करना चाहती हैं। ललन सिंह ने कहा है कि अखिलेश यादव समाजवादी विचारधारा के हैं और हमारे मित्र भी हैं तो हमें अगर उत्तर प्रदेश में गठबंधन करना होगा तो स्वाभाविक तौर पर हम समाजवादी पार्टी के साथ ही करेंगे। समाजवादी पार्टी हमारा वास्ताविक सहयोगी हो सकता है। हालांकि इस विषय पर समजवादी पार्टी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है। ये देखना काफी अहम होगा कि जदयू को अखिलेश यादव का सहारा मिलेगा या नहीं।
दीदी की भरपाई अखिलेश से
समजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने की सोच के पीछे जदयू की बहुत सोची समझी हुई रणनीति बताई जा रही है। दरअसल कुछ समय पहले जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने एक बड़ा बयान दिया था। उनका कहना था कि सिर्फ बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में विपक्ष एकजुट हो तो भाजपा की 40 सीट कम की जा सकती है। जिससे भाजपा को सत्ता से उखाड़ कर फेंका जा सकता है। लेकिन ममता बनर्जी ने अपने पार्टी को विपक्षी एकता वाले अभियान से अलग कर लिया। राजनीतिक जानकारों की मानें तो जदयू ममता बनर्जी की भरपाई अखिलेश यादव से करने की कोशिश में हैं।