बिहार की महाराजगंज लोकसभा सीट पर चुनाव छठे चरण में हुआ, जिसमें भाजपा के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल विजयी रहे। यह सीट इसलिए हॉट सीट बन गई थी क्योंकि इस सीट पर भाजपा की हैट्रिक रोकने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने अपने बेटे आकाश को उम्मीदवार बनाया। आकाश का यह दूसरा लोकसभा चुनाव रहा और महाराजगंज से आकाश पहली बार चुनाव लड़े।
महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से हैट्रिक जीत लगाने वाले भाजपा प्रत्याशी जनार्दन सिंह सिग्रीवाल निर्णायक बढ़त 92880 वोट की निर्णायक बढ़त मिलने के बाद मतगणना परिसर में पहुंचे और उन्होंने अपनी जीत का श्रेय क्षेत्र की जनता और मोदी मैजिक को दिया है। महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में इससे पहले किसी उम्मीदवार ने लगातार दो बार से ज्यादा जीत हासिल नही किया है। महाराजगंज से पहले राजनेता और सांसद के तौर पर जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने जीत की हैट्रिक लगाया है।नीतीश कुमार के एनडीए के साथ बने रहने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार इस बात को कहा है कि वह अब कहीं नही जायेंगे।
महाराजगंज में इस बार लड़ाई ऐसी उलझी है कि निर्दलीय उम्मीदवारों समेत दूसरे कई दलों ने पहले से ही किनारा कर लिया था। इस सीट पर सिर्फ 5 उम्मीदवार मैदान में थे। इसमें भाजपा ने दो बार चुनाव जीतने वाले जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को मैदान में उतारा। तो कांग्रेस ने आकाश प्रसाद सिंह को। वहीं बसपा से मधूसूदन सिंह, एआईएमआईएम से अखिलेश्वर प्रसाद सिंह और पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया डेमोक्रेटिक से त्रिभुवन राम उम्मीदवार थे।
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चुनावी नतीजों की बात करें तो महाराजगंज लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने पांच बार जीत दर्ज की है। 1957 में महेंद्र नाथ सिंह, 1962 में कृष्णकांत सिंह और 1967 में मृत्युंजय प्रसाद ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की। इसके बाद कांग्रेस 2 चुनाव हारी। इसके बाद कृष्ण प्रताप सिंह 1980 और 1984 में जीते। 1984 के चुनाव के बाद कांग्रेस इस सीट पर कभी जीत नहीं सकी है।
जबकि महाराजगंज लोकसभा सीट पर भाजपा को पहली बार प्रत्याशी उतारने का मौका 2014 में तब मिला जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो गए थे। तब भाजपा ने पूर्व मंत्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को उतारा और वे प्रभुनाथ सिंह को सिर्फ 38 हजार वोटों से हराते हुए बिहार विधानसभा से संसद पहुंच गए। इसके बाद 2019 में नीतीश एनडीए में लौटे, तब भी भाजपा ने इस सीट से कब्जा नहीं छोड़ा। सिग्रीवाल ने 2019 में जीत के अंतर को प्रभुनाथ सिंह के बेटे के सामने 2.30 लाख कर दिया।