रामचरितमानस पर दिए बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के बयान पर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। बयान पर जमकर राजनीति भी हो रही है। स्थिति ऐसी हो गई है कि खुद जेडीयू और राजद भी आमने-सामने आ गई है। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी बयान सामने आया है। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि धर्म के मामले में हस्तक्षेप करना बिलकुल भी ठीक नहीं है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ये बात उन्होंने ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी समझा दिया है।
RJD और JDU के बीच छिड़ा Twitter-वार, अपने-अपने नेता का गुणगान
‘धार्मिक मामलों में दखलअंदाजी ठीक नहीं’
दरअसल अपने समाधान यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज अरवल पहुंचे। इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने शिक्षा मंत्री के बयान पर अपनी पार्टी का पक्ष साफ कर दिया। उन्होंने कहा कि धार्मिक मामलों में दखलअंदाजी करना ठीक नहीं है। इसपर कुछ भी बोलना ठीक नहीं है। जिस धर्म को मामना है माने, जिस भगवान के पूजा करनी है करे लेकिन ऐसी बातें नहीं बोलनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि ये बातें उन्होंने तेजस्वी यादव को बता दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगे कहा कि हर धर्म का सम्मान होना चाहिए और हमलोग शुरू से ये करते आए हैं। धर्म को लेकर विवाद नहीं करना चाहिए ना ही कुछ बोलना चाहिए। लोग जिस तरह अपने धर्म का पालन कर रहे हैं उन्हें वैसे ही करते रहना चाहिए।
इस बयान से शुरू हुआ विवाद
दरअसल 11 जनवरी को नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने एक बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि धार्मिक ग्रंथों ने समाज में जातिवाद का जहर फैलाया है। एक युग में मनुस्मृति ने जहर फैलाया। उसके बाद रामचरित मानस ने जहर फैलाया।इसके बाद गोलवलकर के बंच ऑफ थॉट्स ने यही काम किया। साथ ही उन्होंने रामायण की एक चौपाई “अधम जाति में विद्या पाए,भयहु यथा अहि दूध पिलाए” का जिक्र करते हुए भी उससे आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा था कि इस चौपाई का मतलब ये है कि निचले जाती के लोग ज्ञान प्राप्त कर सांप के समान जहरीले हो जाते हैं। इसी बयान को लेकर विवाद बढ़ता चला गया लेकिन अपने इसी बयान पर वो आज भी कायम है। इस बयान पर शुरू में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जानकारी ना होने की बात कही थी। विवाद बढ़ने के बाद आखिरकार उन्हें प्रतिक्रिया देनी ही पड़ी।