मुजफ्फरपुर के बोचहां में जन संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में जिसका कोई वजूद नहीं है वो भी चार-पांच गनमैन लेकर ही चलता है। समाज में भी ऐसी अवधारणा बन गई है कि जो नेता हैं, उन्हें अपने साथ हथियार रखकर दो चार बंदूक वालों के साथ चलना ही चाहिए। प्रशांत किशोर ने यह बात लालू यादव के पीछे छाता लेकर चले डीएसपी के मामले पर कही। पीके ने आगे कहा कि आज कोई मुखिया और सरपंच से मिलता हूं तो वो कहते हैं कि हमारी जान को बहुत खतरा है। मैं 11 महीनों से पैदल चल रहा हूं, कहां कोई आकर मार रहा है? कहां मुझे कोई धक्का दे रहा है? मैं इसी पदयात्रा शिविर में सोता हूं, रहता हूं।
समाज उस व्यवस्था को स्वीकर करता है
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि लालू प्रसाद यादव तो बहुत बड़े नेता हैं, बिहार में जो छोटे स्तर का नेता है वो भी दो गनमैन लेकर ही चलता है। हम अभी 11 महीनों से पैदल चल रहे हैं जब लोग पदयात्रा शिविर में आते हैं तो यही पूछते हैं कि यहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था भी नहीं है। उनके लिए आश्चर्य की बात हो जाती है कि इतनी व्यवस्था है, लेकिन यहां सिपाही। बिहार में नेतागिरी शुरू की नहीं कि दो गनमैन, लाठी डंडा करने वाले लोग आगे पीछे चलने वाले शागिर्द पने साथ रखते हैं, वो समाज को दिखाते हैं। समाज भी कहीं न कहीं गरीब और अनपढ़ होने की वजह से ये जो समाज में व्यवस्था है उसको स्वीकर करता है तो लालू के आगे पीछे छाता लेकर कोई चल रहा है तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है।