बिहार में सरकार निर्माण के इतिहास में एक चुनाव में दो बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी बिहार में बना था। अब एक ही चुनाव में तीन बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी बिहार में ही बना था। चुनाव के पूर्व के गठबंधन तोड़ या तुड़वा कर सरकार बनाने में भाजपा, जदयू और राजद तीनों दल शामिल रहे हैं। लेकिन भाजपा को उसके ‘करनी का फल’ मिलने में पांच साल लग गए थे। जबकि राजद की ‘करनी का फल’ उसे 15 माह में ही मिल गया। रही बात जदयू की, तो जवाब यही आ रहा है कि नीतीश सबके हैं।
जदयू के दो बार पलटने में दो राष्ट्रीय अध्यक्षों की ‘बलि’
बात 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव की है। 2014 में देश में भाजपा की सरकार बनी थी। इसके बाद भाजपा झारखंड विधानसभा का चुनाव जीत कर दिल्ली में बुरी तरह हार गई थी। ये दोनों छोटे राज्य थे। 2014 की बड़ी जीत के बाद पहली बार बड़े राज्यों में बिहार में ही विधानसभा का चुनाव हुआ। लेकिन नतीजों में जदयू-राजद ने भाजपा को बुरी तरह पटखनी दे दी। यह अलग बात है कि भाजपा ने जो झटका खाया, उससे उबरने में सिर्फ 20 माह का वक्त लगा।
बीच में ही बन गई भाजपा-जदयू की सरकार
नवंबर 2015 में राजद के सहयोग से मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार ने जुलाई 2017 में इस्तीफा देकर भाजपा से समर्थन लेकर वापस मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद जदयू-भाजपा का गठबंधन चलता रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों ने बड़ी जीत दर्ज की। 2020 के विधानसभा चुनाव में सरकार बनाऊ जीत मिली। लेकिप अगस्त 2022 में नीतीश कुमार ने भाजपा को उसकी करनी का फल थमा दिया। यानि जिस तरह बीच सरकार से राजद को बाहर कर नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ 2017 में सरकार बनाई थी। उसी तरह अगस्त 2022 में नीतीश कुमार ने भाजपा को बाहर कर राजद के साथ सरकार बना ली।
करनी के फल के लिए राजद का इंतजार छोटा
वैसे अगस्त 2022 में जब राजद की सरकार में एंट्री हुई तो उसे भी कहने वालों ने जनादेश के खिलाफ कहा था। राजद की बीच सरकार में एंट्री वाली करनी ने विरोधियों को हमला का मौका दे दिया। लेकिन किस्मत ऐसी पलटी कि इस बार एक ही चुनाव के जनादेश में दो बार नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया और उनके इस मूव से राजद को बीच सरकार में एंट्री वाली करनी का फल अब मिल गया।