आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में एनडीए ने सीट शेयरिंग के अपने सारे पत्ते खोल दिए हैं। लेकिन महागठबंधन ने सीटों के बंटवारे को लेकर मंथन अभी भी जारी है कुछ मीडिया ख़बरों की मानें तो शायद महागठबंधन भी सीट बंटवारे की प्रक्रिया पूरी कर चुकी है लेकिन इसकी औपचारिक घोषणा अभी बाकी है पिछली बार जहाँ एनडीए ने 40 लोकसभा सीटों में से बम्फर 39 सीटों की जीत दर्ज की थी, वहीँ आरजेडी का वाइट वाश हो गया था। आरजेडी पिछले चुनाव में एक भी सीट हासिल करने में नाकामयाब रही थी। सिर्फ एक सीट कांग्रेस ने किशनगंज में जीती थी। शायद यही कारण है कि विशेष रणनीति के रास्ते पर चलते हुए महागठबंधन इस बार एनडीए की सीट घोषणा का इंतज़ार कर रही थी। इधर सीमांचल सहित 11 सीटों पर एआईएमआईएम ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। देखा जाये तो महागठबंधन के लिए ये एक और झटके के समान हीं है। निश्चित है कि एआईएमआईएम की इस चुनावी घोषणा के बाद महागठबंधन को ज्यादा नुकसान पहुंचने की संभावना है। इसको देखते हुए आरजेडी की खास रणनीति होगी कि मुस्लिम वोट बैंक को कैसे टूटने से बचाया जाए। उम्मीद की जा रही है कि एनडीए में जेडीयू की ज्यादातर सीटों पर महागठबंधन की आरजेडी अपने उम्मीदवार उतारे।
बेगूसराय की सीट पर पिछली बार कांग्रेस से कन्हैया कुमार और बीजेपी से गिरिराज सिंह को उतरा गया था। उस वक्त बीजेपी को रोकने के लिए आरजेडी ने तनवीर हसन को बेगुसराय से मौका दिया था। इस बार उम्मीद जताई गयी है कि बेसूगसराय की सीट सीपीआई को दी जा सकती है। हालांकि माले की मांग पांच सीटों की है। हाजीपुर और मुजफ्फरपुर की बात करें तो यदि पशुपति कुमार पारस और महागठबंधन से बात बन जाती है तो चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (R) के खाते में गई हाजीपुर और समस्तीपुर सीट से पारस की पार्टी लड़गी। अगर गठबंधन नहीं होता है तो हाजीपुर से आरजेडी, समस्तीपुर से कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतार सकती है।
इधर शिवहर सीट पहले से तो बीजेपी के पास थी, लेकिन अब यहां से जेडीयू में शामिल लवली आनंद चुनाव लड़ सकती हैं। वर्तमान में यहां से बीजेपी सांसद रमा देवी हैं। संभावना जताई जा रही है कि रमा देवी कहें लालू का दामन न थाम लें और इस बार लालू प्रसाद उन्हें इस सीट से टिकट दे दें। रमा देवी आरजेडी से उम्मीदवार होती हैं तो सीतामढ़ी और मोतिहारी पर भी असर डालेंगी। शिवहर और सीतामढ़ी सीट जेडीयू को गई है और मोतिहारी बीजेपी को।यह और बात है कि इस सीट से लालू प्रसाद एक बार और उसके बाद उनकी बेटी मीसा भारती दो बार चुनाव हार चुकी हैं। मधेपुरा की सीट इसलिए हॉट है कि यहां से शरद यादव के पुत्र शांतनु को आरजेडी लड़ा सकती है। उन्हें जेडीयू के उम्मीवर से भिड़ना होगा। पप्पू यादव को सीट मिलती है की नहीं इसका भी सभी को इंतजार है।
उम्मीद जताई जा रही है कि आरजेडी के खाते में वैशाली, खगड़िया और जमुई की सीटें भी आ जायें। गया सीट पर आरजेडी और कांग्रेस दोनों अपना दावा ठोक रहे हैं और फिलहाल इस सीट पर उनकी आपसी सहमती बनती नहीं दिखती। गया की सीट जीतन राम मांझी की ‘हम’ के जिम्मे है। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएम को मिली काराकाट सीट से आरजेडी या लेफ्ट अपना कैंडिडेट उतार सकती है। मुंगेर सीट की बात की जाये तो यहाँ से जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह सांसद हैं। वहीँ यहाँ से महागठबंधन के लिए के लिए आरजेडी चुनावी समर के लिए कमर कसे खड़ी है। सुनने में तो आ रहा है गंभीर आरोपों से घिरे अशोक महतो को लालू ने शादी करने की नसीहत दी है ताकि उनकी होने वाली पत्नी को यहाँ से टिकट दे सकें।
पिछली बार तो सारण सीट से बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी ने आरजेडी के चंद्रिका राय को हराया था। इस बार सारण से लालू की बेटी जिन्होंने उन्हें किडनी दान दी थी, यांनी रोहिणी आचार्य रूडी के सामने होंगी। आरा जैसी सीट माले को दिए जाने की उम्मीद है। पिछली बार वहां से राजू यादव ने चार लाख से ज्यादा वोट लाए थे। इस बार माले विधायक सुदामा प्रसाद के नाम की भी चर्चा यहां से है। यहां से सासंद आरके सिंह केंद्रीय मंत्री हैं। पाटलिपुत्र की सीट माले मांग रही है लेकिन इसकी उम्मीद नहीं है कि आरजेडी यह सीट माले को दे।