राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के एक बयान जिसमें उन्होंने कहा कि भाजपा ने चिराग पासवान की पार्टी तोड़ी, बंगला खाली करवाया लेकिन फिर भी हनुमान बने घूमते हैं। इस पर जवाब देते हुए चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने कहा कि तेजस्वी यादव हमारी चिंता करना छोड़ दें। जितनी चिंता वह हमारी और हमारे प्रधानमंत्री की करते हैं उसकी 10% इन्होंने अपने प्रत्याशियों की और अपने प्रदेश की की होती तो जंगल राज के नाम से नहीं जाना जाता।
सैलरी कहां से देंगे तेजस्वी
चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि आप बोलते हैं कि हम नौकरी दिए। इतनी नौकरी दिए तो रेवेन्यू कहां से जनरेट होगा सरकार में। राजस्व कैसे बढ़ेगा यह बताएं, जब तक सरकार का राजस्व नहीं बढ़ेगा तब तक आप पैसा कहां से दीजिएगा, सैलरी कहां से दीजिएगा। यह ढिंढोरा मत पीटिये। तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के बयान पर जिसमें उन्होंने कहा कि चिराग पासवान कभी मंत्री रहे हैं जो समझेंगे कैसे नौकरी दी जाती है। चिराग पासवान ने कहा कि क्या वह पैदा होते के साथ ही मंत्री बन गए थे। अनुभव एयर कंडीशन कमरों में बैठने से नहीं होता है जनता के बीच में जाने से होता है। उनका कार्यकाल देख लीजिए। बिहार में घटी घटनाओं को भी निकाल करके देख लीजिए और कितनी घटनाओं पर वह गए यह भी देख लीजिए।
तेजस्वी की बौखलाहट दिख रही है
बता दें कि हाजीपुर में चिराग पासवान का दौरा लगातार जारी है। इस दौरान एक बार फिर से वह मीडिया से मुखातिब हुए और तेजस्वी यादव पर जमकर बरसे। चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव को बौखलाहट में शब्दों की मर्यादा खोने वाला नेता बताया। तेजस्वी यादव को जब चुनाव की हार दिखाई देने लगती है, तो स्वाभाविक है वह आक्रामकता और बौखलाहट तो दिखाई देगी। शब्दों की मर्यादा जिस तरह से वह खोते जा रहे हैं वह भी एक बड़ा उदाहरण है।
चिराग पासवान ने कहा कि 2014 और 2019 में भी हमने यही देखा। जैसे-जैसे चुनाव का चरण बढ़ते जाते हैं। ऐसे ऐसे इनको अपनी हार का एहसास होने लगता है। उन्होंने कहा कि फीडबैक तो हर किसी को मिल ही जाता है ना। कैसा प्रचार चल रहा है और कैसा रिजल्ट आ रहा है। तो ऐसे में स्वाभाविक है इस तरह की आक्रामकता। कुशवाहा समाज के विरोध में जाने के सवाल पर चिराग पासवान ने कहा कि हमारी सोच हमेशा से समावेशी रही है।
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चिराग पासवान ने कहा कि हमने कभी भी जात-पात धर्म मजहब देखकर ना राजनीति की ना राजनीतिक सोच रखी है। आज भी बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट कि जब हम बात करते हैं तो यह वही समावेशी विकास की सोच है। जहां पर हम चाहते हैं कि 14 करोड़ बिहारवासी एक साथ आकर बिहार की विकसित बिहार की निर्माण में अपना योगदान दें। ऐसे में हर वह व्यक्ति जो विकसित बिहार का निर्माण करना चाहता है।