RANCHI : कहा जाता है कि किसी भी जगह की खूबसूरती उस जगह की प्राकृतिक छटा, जलवायु, मौसम और ऐतिहासिक स्थलों की जगह की वजह से जानी जाती है। कुछ जगहें ऐसी भी होती हैं जिन्हें वहां के नागरिक आचरण के वजह से भी जाना जाता है। नागरिक आचरण की बात करें तो सामान्यतः अच्छे आचरण के वजह से ही क्षेत्रों को ज्यादा पहचान मिलती है मगर जहाँ बुरे आचरण वालों की बहुलता होती है वो जगहें भी लाइमलाइट में आ जाती हैं। ऐसे बुरे आचरण वालों को गुंडे, बदमाश, रंगदार एवं गैंगस्टर के नाम से हम लोग भलीभांति परिचित हैं। झारखंड में भी कुछ बुरे आचरण वाले यानी सीधे शब्दों में कहें तो गैंगस्टर का कहीं ना कहीं हमेशा से बोलबाला रहा है। आज INSIDER LIVE की यह विशेष रिपोर्ट झारखंड में सक्रीय रह चुके कुछ नामी गैंगस्टरों के बारे में ही है।
INSIDER LIVE : झारखंड में फिलहाल आठ से दस संगठित आपराधिक गिरोह सक्रिय है, जिनमें से अधिकांश गैंग के लीडर जेल में बंद हैं, कुछ फरार हैं, जबकि कुछ के गैंगवार में मारे जाने के बाद भी उनके परिवार के सदस्य या फिर उनके बेहद करीबी रहे गिरोह का संचालन कर रहे हैं। जो प्रमुख गैंगस्टर्स सलाखों के पीछे हैं, उनमें प्रमुख रूप से डॉन अखिलेश सिंह, सुजीत सिन्हा, अमन साव, अमन सिंह और अनिल शर्मा, अमन श्रीवास्तव शामिल है। ये सभी राज्य के अलग अलग जेलों में बंद हैं।
गैंगस्टर अखिलेश सिंह
अखिलेश सिंह के खिलाफ 56 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें उपेंद्र सिंह हत्याकांड, आर्म्स एक्ट, धोखाधड़ी, दस्तावेज की हेराफेरी, जयराम सिंह, आशीष डे, परमजीत सिंह हत्याकांड समेत अन्य मामले हैं। साकची जेल के जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 2007 में उसे हाईकोर्ट से पेरोल मिला था। लेकिन इसके बाद वह समय पर अदालत में उपस्थित नहीं हुआ। दोबारा वह दिल्ली के नोएडा से 2011 में पकड़ा गया था। 2015 में उसे कुछ शर्तों के साथ झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। इस बीच सोनारी के अमित सिंह और उपेंद्र सिंह की हत्या का मामला दर्ज हुआ। जमशेदपुर की पुलिस ने उसे गुरुग्राम से अक्टूबर 2017 को पत्नी के साथ गिरफ्तार किया था। तब से अखिलेश सिंह दुमका जेल में बंद है।
गैंगस्टर अनिल शर्मा
पिछले तीन दशक से आतंक का पर्याय बन चुके गैंगस्टर अनिल शर्मा भोमा सिंह हत्याकांड में सजायाफ्ता है। वह पिछले दो साल से केंद्रीय कारा हजारीबाग में सजा काट रहा है। इससे पहले उसे दुमका जेल से भारी सुरक्षा में हजारीबाग लाया गया था। उसे हाई सिक्योरिटी में रखा जाता है। गैंगस्टर पर जेल में रहते आपराधिक घटनाओं को अपने गुर्गों द्वारा अंजाम दिए जाने का आरोप लगने पर दुमका केंद्रीय कारा से उसे 2021 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा हजारीबाग में स्थानांतरित किया गया था। अनिल शर्मा 23 साल से जेल की सजा काट रहा है। अनिल शर्मा के खिलाफ कई थानों में मामले दर्ज हैं। हत्या व रंगदारी समेत कई अपराध को लेकर इसके खिलाफ मामले दर्ज कराये गये थे। एक वक्त था, जब अपराध की दुनिया में अनिल शर्मा की तूती बोलती थी।
गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव
सुशील श्रीवास्तव: झारखंड में कोयला माफिया के तौर पर कुख्यात सुशील श्रीवास्तव का कई सालों तक इलाके पर प्रभुत्व रहा। सुशील श्रीवास्तव अपने आपराधिक कृत्यों के चलते कई सालों तक जेल में रहा था और लोग उसे ‘बाबा’ नाम से बुलाते थे। माना जाता है कि सुशील के बिहार और झारखंड के नेताओं से भी बड़े करीबी रिश्ते थे। सुशील अपने शुरुआती दौर में भोला पांडेय का करीबी था। थोड़े ही दिनों में उसने भोला पांडेय का साथ छोड़ दिया तो पांडेय से अदावत छिड़ गई। सुशील ने साल 2010 में भोला पांडेय की हत्या करा दी। भोला पांडेय की हत्या के बाद सुशील जेल से बाहर ही नहीं आया और अब वह जेल को ही सुरक्षित ठिकाना मानने लगा था। कुछ मामलों में पेशी के चलते 2 जून 2016 को सुशील श्रीवास्तव को जेल से हजारीबाग व्यवहार न्यायालय लाया गया। लेकिन कोर्ट परिसर में ही उसके ऊपर एके-47 से ताबड़तोड़ फायरिंग कर उसे मौत के घाट उतार दिया गया। इस फायरिंग में सुशील के अलावा 3 और लोगों की भी मौत हो गई थी।
गैंगस्टर भोला पांडेय
साल 2008 में रामगढ़ व रांची में अमरेंद्र तिवारी नाम के शूटर की तूती बोलती थी। अमरेंद्र तिवारी ने सुशील श्रीवास्तव से हाथ मिला लिया था। सुशील श्रीवास्तव जेल बंद था, लेकिन अमरेंद्र तिवारी जेल के बाहर। सुशील श्रीवास्तव हर हाल में भोला पांडेय व उसके गिरोह को खत्म करना चाहता था। उसने इसके लिए अमरेंद्र तिवारी से बात की। वर्ष 2009 में दुमका से रांची लाने के क्रम में एक लाइन होटल में जब पुलिसकर्मी और भोला पांडेय खाना खाने रुके थे, भोला पांडेय शौच करने लिए होटल के पीछे गया था। तभी अमरेंद्र तिवारी ने भोला पांडेय की हत्या कर दी थी। हालांकि भोला पांडेय की हत्या करने के बाद अमरेंद्र तिवारी ने पत्रकारों को फोन करके बताया था कि उसने अलग गिरोह बना लिया है।
गैंगस्टर किशोर पांडेय
किशोर पांडेय पतरातू बस्ती निवासी अपराधी भोला पांडेय का भतीजा था। किशोर के पिता कामेश्वर पांडेय रेलकर्मी हैं और छोटे पुत्र बबलू पांडेय के साथ पतरातू में रहते हैं। वह अपने चाचा से प्रभावित था व कम उम्र में ही अपराध करने लगा था। साल 2007 में उसने रामगढ़ जिला के सयाल निवासी मो। सकरुल्ला और खलारी में दो व्यवसायियों की हत्या कर दी थी। वर्ष 2009 में रांची के फाइनेंसर राजू धानुका की हत्या के बाद वह सुर्खियों में आया था।
पांडेय गिरोह की कमान संभाल रहा विकास तिवारी
शूटर के रूप में उसकी पहचान रही है। रांची जेल में बंद अपराधी सुशील श्रीवास्तव गिरोह से खुली अदावत थी। साल 2014 में किशोर की जमशेदपुर में हत्या कर दी गई। अब पांडेय गिरोह की कमान विकास तिवारी संभाल रहा है।
गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव
सुशील श्रीवास्तव की हत्या के बाद धुर्वा में सुशील श्रीवास्तव को दफन किया जा रहा था तब ताबड़तोड़ फायरिंग हुई। खून का बदला खून की तर्ज पर लेने की शपथ यहां अमन श्रीवास्तव ने ली। अमन, सुशील का बड़ा बेटा है। पढ़ा लिखा अमन गिरोह की कमान संभाल रहा है। उसके मददगार बने बोकारो जेल में बंद अमरेंद्र तिवारी और रामगढ़ का लखन साव। अमन के इशारे पर 26 अक्तूबर 2016 को किशोर पांडेय के बुजुर्ग पिता कामेश्वर पांडेय की हत्या पतरातू में कर दी गई। अपराध से दूर रहने वाले कामेश्वर पांडेय की हत्या के ठीक बाद एक शूटर को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था। हत्याकांड के बाद अमन श्रीवास्तव ने इस वारदात को अंजाम दिलवाने की बात खुद कबूली। जिसके बाद अमन श्रीवास्तव एक के बाद एक घटना को अंजाम दिलाकर राज्य के छह जिलों की पुलिस के लिए चुनौती बन गया था। बीते 15 मई को झारखंड एटीएस ने उसे मुंबई से गिरफ्तार कर लिया।
गैंगस्टर अमन साहू
अमन साहू गैंग पिछले 10 सालों से झारखंड के कोयला कारोबारियों के नाक में दम कर रखा है। डॉन अमन साहू ने 17 साल के उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखा। किसी को नहीं मालूम था कि एक छोटे से गांव का पढ़ने वाला लड़का एक दिन झारखंड का बड़ा गैंगस्टर बन जाएगा। आज अमन साहू अपराध की दुनिया का एक बड़ा नाम बन गया है।अमन साहू गैंग झारखंड के पलामू,चतरा, लातेहार, रांची, रामगढ़,बोकारो, गिरिडीह, धनबाद सहित कई जिलों के कारोबारी और ठेकेदारों के नाक में दम कर रखा है। अमन साहू के नाम पर कोयला कारोबारी समेत अन्य करोबार से जुड़े लोगों से रंगदारी की मांग फोन पर की जाती है, और फिर पैसे नहीं देने पर खुलेआम गोली मार दी जाती है।
अमन श्रीवास्तव पिछले आठ सालों से गिरोह का संचालन कर रहा है। अमन श्रीवास्तव फिलहाल रांची के बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारा में बंद है। लेकिन इसके गुर्गे अमन के इशारे पर खुलेआम वारदात को अंजाम देते है। इस गैंग के निशाने पर ज्यादातर ठेकेदार और कोयला कारोबारी है। इसके गुर्गे शहर में घूम कर पूरी गतिविधि का जायजा लेने के बाद अपने आका को देते है उसके बाद अमन जेल से ही लिस्ट तैयार करता है। लिस्ट बनाने के बाद उसमें कितना पैसा कहां और किस्से मांगना है यह आदेश अपने गिरोह के लोगों को देता है। आदेश मिलने के बाद ही रंगदारी की मान की जाती है।रंगदारी नहीं देने पर उसे मौत के घाट उतार देता है। यही कारण है कि अमन गिरोह का नाम सुनते ही राज्य के कारोबारी खौफ खाने लगते हैं। इसका आतंक रामगढ़,हजारीबाग,धनबाद,चतरा,लोहरदग्गा,लातेहार और पलामू में देखने को मिलता है।अमन श्रीवास्तव के काम करने का तरीका अन्य गंगस्टरों से अलग है। यह खुद किसी वारदात को अंजाम नहीं देता है। ना ही रंगदारी का पैसा खुद डायरेक्ट लेता है,इसके गुर्गे पैसा उठाने के बाद हवाला के माध्यम से अमन के रिश्तेदारों को भेजा करते थे।
अमन मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला है लेकिन इसका आतंक झारखंड में है। अमन सिंह गिरोह खास कर कोयलंचल में सक्रिय है। शूटर अमन सिंह का वर्चस्व धनबाद डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या के बाद पूरे कोयलंचल में दिखने लगा। मेयर हत्याकांड में पुलिस ने अमन को भले ही सलाखों के पीछे भेज दिया। लेकिन उस हत्या के बाद से अमन सिंह के नाम से लोग खौफ खाने लगे थे। ऐसा लगने लगा की जेल जाने के बाद एक बड़े गैंगस्टर की लिस्ट में अमन सिंह सुमार हो गया। जेल जाने के बाद इसका आतंक और बढ़ता चला गया। इसके गुर्गे ने पूरे कोयलंचल में जमकर उत्पात मचाया है। कोयलंचल में कोयला कारीबरी इसके निशाने पर तो हैं ही इसके अलावा जो भी तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहा है वहां उसके पास अमन सिंह के नाम से पर्चा या काल पहुँच जाता है। सूत्रों की माने तो अमन सिंह का गैंग हर माह करीब 30 लाख रुपये रंगदारी वसूलने का काम करता है। अमन सिंह के बड़े भाई अजय सिंह को पुलिस ने यूपी के सुल्तानपुर से 2022 में गिरफ्तार किया था। इसकी गिरफ़्तारी के बाद कई जानकारी पुलिस को मिली थी।