भारत में सबसे संगीन अपराध की सजा है फांसी और जिसे फांसी नहीं दी गई, उसे उम्रकैद। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2022 के आंकड़े बताते हैं कि 20 सालों में 2543 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई। लेकिन हकीकत ये भी है कि इनमें फांसी मिली सिर्फ 8 लोगों को। बाकी में से अधिकतर की सजा उम्रकैद में कन्वर्ट हो गई। दूसरी ओर उम्रकैद की सजा पाने वालों में पांच वो लोग भी हैं, जो कभी लोकसभा के सदस्य थे। इसमें तीन तो बिहार से सांसद रहे हैं जबकि दो का नाता उत्तरप्रदेश से रहा। पांच में से चार हत्या के दोषी हैं, तो एक को अपहरण के मामले उम्रकैद मिली है। इनमें एक तो वैसे भी हैं, जिन्हें मिली तो थी फांसी की सजा लेकिन हाईकोर्ट में यह उम्रकैद में बदल गई।
वैसे देश की राजनीति में जातीय जनगणना की मांग ने जोर पकड़ा हुआ है और बिहार में तो यह प्रक्रियाधीन भी है। इन अपराधियों के जाति-धर्म के बारे में आपको बता दें कि दो मुस्लिम समुदाय से हैं तो दो राजपूत और एक यादव जाति के हैं। इन ‘राजनीतिक हस्तियों’ में तीन का संबंध बिहार की सत्तारुढ़ पार्टी राजद-जदयू से रहा है। तो दो यूपी के विपक्षी दल बसपा-सपा से रहे हैं।
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1. आनंद मोहन
उम्र कैद की सजा काट रहे सांसदों में बिहार में शिवहर सीट से सांसद रहे आनंद मोहन का नाम सबसे पहला है। आनंद मोहन गोपालगंज जिले के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के दोषी पाए गए थे। इसी मामले में आनंद मोहन को सजा मिली है। निचली अदालत ने तो आनंद मोहन को फांसी की सजा दी थी। लेकिन हाई कोर्ट में सजा उम्रकैद में तब्दील हो गई। राहत के लिए जोर तो आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट में भी लगाया लेकिन वहां बात बनी नहीं। आनंद मोहन अभी भी जेल में हैं। कभी लालू राज की खिलाफत का बीड़ा उठाने वाले नेताओं की पहली कतार में शामिल आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद इस बार लालू की पार्टी राजद के ही विधायक हैं।
2. मो. शहाबुद्दीन
बिहार में सीवान लोकसभा सीट से राजद के सांसद रहे मो. शहाबुद्दीन को भी उम्रकैद की सजा मिली थी। शहाबुद्दीन का पॉलिटिकल कॅरियर जितना शानदार रहा था, उसके अपराध का ग्राफ उससे कहीं कम नहीं थी। इस बात को ऐसे आसानी से समझा जा सकता है कि शहाबुद्दीन पर दर्ज सभी मामलों की सुनवाई पूरी भी नहीं हुई और जेल में ही शहाबुद्दीन की मौत हो गई। शहाबुद्दीन पर हत्या, अपहरण, रंगदारी, घातक हथियार रखने और दंगा फैलाने जैसे कई मामले दर्ज थे। लेकिन दो भाइयों को तेजाब से जलाकर मार देने वाले मामले में दोषी शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा मिली। 2004 की इस घटना में 2007 में उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई। सजा कटाने के दौरान ही उसे कोरोना हो गया था। 1 मई 2021 को दिल्ली के एक अस्पताल में कोरोना से ही उसकी मौत हो गई।
3. प्रभुनाथ सिंह
उम्रकैद पाने वाले सांसदों की सूची में प्रभुनाथ सिंह का भी नाम है। जदयू में रहते हुए नीतीश कुमार के करीबी और महाराजगंज सीट से सांसद रहे प्रभुनाथ सिंह की सक्रिय राजनीति के अंतिम कुछ साल तो राजद में बीते। लेकिन विधायक की हत्या के मामले में 22 साल बाद प्रभुनाथ सिंह का नाम उम्रकैद पाने वाले सांसदों की सूची में आ गया। 1995 में मशरक विधानसभा सीट से विधायक चुने गए अशोक सिंह की हत्या का आरोप प्रभुनाथ सिंह पर लगा और साबित भी हुआ। इसके बाद 23 मई 2017 को पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह, उसके भाई दीनानाथ सिंह और एक अन्य आरोपी रितेश सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। हाईकोर्ट से भी प्रभुनाथ सिंह को राहत नहीं मिली और वो अभी भी जेल में बंद सजा काट रहा है।
4. उमाकांत यादव
उत्तरप्रदेश की मछलीशहर सीट से 2004 में सांसद बने बसपा के उमाकांत यादव भी उनमें शामिल हैं, जिन्हें उम्रकैद मिली हुई है। दो जीआरपी सिपाही समेत तीन लोगों की हत्या के मामले में 27 साल के ट्रायल के बाद उमाकांत यादव को अगस्त 2022 में सजा मिली। उन पर हत्या का वो मामला 1995 से चल रहा था। इस फैसले के पहले तारीखों की लिस्ट लंबी है। फैसला 598 सुनवाईयों के बाद आया था।
5. अतीक अहमद
उम्र कैद की सजा पाने वाले पूर्व सांसदों में ताजा नाम उस अतीक अहमद का है, जिसे उमेश पाल अपहरण कांड में उम्रकैद मिली है। इस मामले की गंभीरता को ऐसे समझें कि फूलपुर से सपा के सांसद रहे अतीक पर 2006 में उमेश पाल का अपहरण करने का आरोप लगा। इस मामले में 28 मार्च 2023 अतीक को उम्रकैद की सजा मिली। लेकिन उससे पहले 24 फरवरी 2023 को ही उमेश पाल की हत्या हो गई। इस हत्या का आरोप भी अतीक के परिवार पर ही लगा है। अतीक पर अभी इलाहाबाद वेस्ट की सीट से विधायक रहे राजू पाल की हत्या का भी आरोप है।